नई दिल्ली. आईसीएआर-सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमएफआरआई) दो फरवरी को अपना 77वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है. शुक्रवार यानी दो फरवरी 2024 को आम जनता के लिए अपने दरवाजे खोलने जा रहा है, ताकि लोग मछली पालन से लेकर समुद्री जीवन के आश्चर्यों के बारे में जानकारी कर सकें.सीएमएफआरआई बड़ी प्रदर्शनी भी लगाने जा रहा है, जिसमें मछली की कई प्रजातियां लोगों को देखने को मिलेगी. इसमें सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र और चौंकाने वाली जो चीज होगी वो होगी समुद्री गाय, जिसके बारे में लोगों ने कम ही सुना और देखा होगा.
वैज्ञानिक-शोधकर्ताओं से मिलेगा बातचीत का मौका
आईसीएआर-सेंट्रल मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमएफआरआई) कोच्चि में दो फरवरी-2024 को अपना 77वां स्थापना दिवस मनाएगा. इसमें समुद्री जीवन के आश्चर्यों का प्रदर्शन किया जाएगा. संस्थान शुक्रवार को छात्रों और आम जनता के लिए अपने दरवाजे खोलकर अपना 77वां स्थापना दिवस मनाएगा. आगंतुकों को समुद्री जीवन पर इंटरेक्टिव प्रदर्शनियों का आनंद लेने, सीएमएफआरआई द्वारा आयोजित वैज्ञानिक गतिविधियों का निरीक्षण करने और वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के साथ बातचीत करने का अवसर मिलेगा.
सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक खुलेगी प्रदर्शनी
ओपन हाउस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, राष्ट्रीय समुद्री जैव विविधता संग्रहालय, विभिन्न प्रयोगशालाएं, समुद्री अनुसंधान मछलीघर, हैचरी, पुस्तकालय और सीएमएफआरआई में अन्य सुविधाएं जनता के लिए सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक खुली रहेंगी. संग्रहालय में मछलियों, मूंगा, स्पंज, समुद्री गाय, समुद्री सांप, कछुए और समुद्री शैवाल सहित समुद्री नमूनों का एक व्यापक संग्रह है, जो समुद्री जैव विविधता में व्यापक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है.
समुद्री प्रदूषण के खतरों के बारे में बताएंगे
रीसर्क्युलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) और इंटीग्रेटेड मल्टी-ट्रॉफिक एक्वाकल्चर (आईएमटीए) जैसी नवीन प्रौद्योगिकियों के मॉडल का प्रदर्शन किया जाएगा. पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण और समुद्री प्रदूषण के खतरों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए प्रदर्शनियां भी प्रदर्शित की जाएंगी.
कार्यक्रम का मकसद जागरूकता पैदा करना
कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को समुद्री मत्स्य पालन के सतत उपयोग और समुद्री जैव विविधता के संरक्षण के बारे में जागरूक करना और इस क्षेत्र में चल रही शोध की गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान करना है.
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