नई दिल्ली. भेड़-बकरी और गाय-भैंस में खुरपका, मुंहपका एफएमडी बीमारी होती है. मॉनसून ने दस्तक दे दी है और इस बीमारी ने भी. जुलाई और अगस्त का महीना पशुओं के लिए ज्यादा केयर करने वाला होना चाहिए. क्योंकि इन दो महीनों में पशुओं पर ज्यादा खतरा मंडरा रहा है. देशभर के 183 शहरों में इस बीमारी के प्रसार का खतरा है. हालांकि इसे खत्म करने के लिए करने के लिए देशभर में टीकाकरण अभियान चालकर और हर साल करीब 50 करोड़ पशुओं को एफएमडी की वैक्सीन लगाकर इससे बचाने की कोशिश सरकार की ओर से की जाती है, लेकिन एक्सपर्ट का कहना है कि इन दो महीनों में और ज्यादा केयर करने की जरूरत है.
जुलाई के महीने में एफएमडी बीमारी के 22 राज्यों में प्रसार की बात कही जा रही है. पशुपालन को लेकर काम करने वाली निविदा संस्था के मुताबिक 22 राज्यों के 87 शहर में पशु इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं. बात की जाए अगस्त महीने की तो तकरीबन 96 शहर इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं. यानी इस महीने में आंकड़ा और ज्यादा बढ़ा है. जुलाई महीने में सबसे ज्यादा खतरा झारखंड, कर्नाटक और केरल में है. झारखंड 20, कर्नाटक के 15 और केरल के 14 शहर इसकी चपेट में आ सकते हैं. वहीं अगस्त में झारखंड के 24 शहर इसकी चपेट में आ सकते हैं. कर्नाटक के 19 और केरल के 13 शहर में पशु बीमार हो सकते हैं.
बीमारी के लक्षण के बारे में पढ़ें
एनिमल एक्सपर्ट निवेश शर्मा कहते हैं कि एफएमडी पीड़ित पशु जैसे गाय-भैंस, भेड़-बकरी के लक्षण यह है कि उन्हें 104 से 106 एफ तक तेज बुखार होता है. भूख कम हो जाती है. पशु स्वस्थ रहने लगते हैं. मुंह से बहुत सारी लार टपकने लगता है. मुंह में फफोले हो जाते हैं. खासतौर पर जीभ और मसूड़े पर फफोले बहुत ज्यादा हो जाते हैं. पशुओं के पैर में खुर के बीच घाव हो जाता है. जो अलसर होता है. जबकि ग्रामीण पशु का गर्भपात हो जाता है. थन में सूजन और पशुओं में बांझपन की बीमारी हो जाती है.
बीमारी किस वजह से फैलती है
एक्सपर्ट कहते हैं कि पशुओं में दूषित चारा, दूषित पानी से एफएमडी रोग जल्दी फैलता है. बारिश के दौरान खासतौर पशु खुले में चरने के लिए दूसरी चारा पानी खा पी लेते हैं. खुले में कुछ पड़ी सड़ी गली चीज भी खा लेते हैं. इसके चलते फार्म पर आए नए पशुओं को भी ये बीमारी लग जाती है. एफएमडी की बीमारी पीड़ित पशुओं के साथ रहने से भी हो जाती है.
इस तरह पशुओं को बचाएं
पशुओं में एफएमडी की रोकथाम करना बहुत आसान है. इसमें कोई पैसा नहीं खर्च होता है. सबसे पहले तो अपने पशु का रजिस्ट्रेशन करें और उसके बाद कान में ईयर टैग डलवाएं. किसी पशु स्वास्थ्यप्ले केंद्र पर साल में दो बार फ्री लगने वाले एफएमडी के तक को लगवाएं. टीके लगवाने के बाद इस बात का खासकर ख्याल रखें कि लगभग 10 से 15 दिन में पशु प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है. इसलिए तब तक पशु का खास ख्याल रखें. बरसात के दौरान पशु को बैठने और खड़े होने की जगह की साफ सफाई रखें.
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