नई दिल्ली. पशुओं में कई बीमारियां होती हैं जो उनके उत्पादन से लेकर उनकी सेहत को खराब कर देती हैं. अगर वक्त रहते इन बीमारियों का इलाज न किया जाए तो यह पशुओं के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि कभी भी पशुओं की बीमारियों को हल्के में नहीं लेना चाहिए, नहीं तो बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है. पशुपालन करने वाले पशुपालक इस बात को जानते ही होंगे कि पशुओं को कृमि और बाहरी कीड़ों की समस्या से बेहद परेशानी होती है. इनका समय से रहते इलाज करना बेहद ही जरूरी होता है.
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की ओर से कृमि और बाहरी परजीवी यानि कीड़ों की समस्या से छुटकारा पाने के लिए कुछ घरेलू चीजों से दवा बनाने का नुस्खा बताया गया है. जिनका इस्तेमाल करके पशुपालक पशुओं को इन समस्याओं से बचा सकते हैं. कृमि में प्याज, काली मिर्च, लहसुन, हल्दी पाउडर, सरसों, नीम के पत्ते, जीरा, गुड़ केले का ताना, गोफा और करेले की जरूरत पड़ती है. जबकि बाहरी परजीवी से छुटकारा पाने के लिए लहसुन, हल्दी पाउडर, नीम के पत्ते, चतुरंगी, निमोली और तुलसी के पत्ते कारगर होते हैं.
कृमि के लिए एक दिन की दवा कैसे तैयार करें
कृमि के लिए दवा तैयार करने के लिए प्याज-1 नग, लहसुन-5 कलियां, सरसों 10 ग्राम, नीम के पत्ते 1 मुठ्ठी, जीरा 10 ग्राम, करेला 50 ग्राम, हल्दी पाउडर 5 ग्राम, काली मिर्च-5 ग्राम, केले का तना 100 ग्राम द्रोणपुष्पी 1 मुट्ठी और गुड़- १०० ग्राम चाहिए होता है. तैयार करने के लिए जीरा, काली मिर्च एवं सरसों को 30 मिनट के लिए पानी में भिगो दें. फिर सभी सामग्रियों को मिलाकर पीस लें और एक पेस्ट बना लें. इस मिश्रण के छोटे-छोटे लड्डू बना लें. तैयार लड्डू को थोड़े नमक के साथ दिन में एक बार पशु को खिलाएं. यह प्रयोग 3 दिन तक करें.
बाहरी कीड़ों की दवा बनाने के लिए करें ये काम
एक दिन की दवा तैयार करने के लिए लहसुन- 10 कलियां, नीम के पत्ते मुठ्ठीभर, निमोली- 1 मुट्ठी, वच के कंद- 10 ग्राम, हल्दी पाउडर 20 ग्राम, चतुरंगी/लेंटाना के पत्ते-1 मुट्ठी, तुलसी के पत्ते- 1 मुठ्ठी ले लें. दवा तैयार करने के लिए सभी सामग्रियों को पीस लें. इस मिश्रण में 1 लीटर साफ पानी मिलाएं. फिर बारीक छन्नी अथवा मलमल के कपड़े से छान लें. इस द्रव को स्प्रे बोतल में भर लें. इस्तेमाल की बात की जाए तो पशु के सम्पूर्ण शरीर पर स्प्रे करें. पशु गृह में मौजूद किसी दरार या सुराख में भी स्प्रे करें. इस द्रव में कपड़े को डुबोकर भी पशु के शरीर पर लगाया जा सकता है. जब तक चिचड़ी खत्म न हो, इस उपचार को सप्ताह में एक बार दोहराते रहें. इस उपचार को दिन के गर्म समय में ही करें.
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