नई दिल्ली. फसल और दूध पर एमएसपी की मांग को लेकर देश के अलग-लग हिस्सों में किसान आंदोलन कर रहे हैं. पंजाब के किसान दिल्ली कूंच कर रहे हैं महाराष्ट्र के किसान पिछले पांच सालों से दूध पर एमएसपी की मांग कर समय-मय पर आंदोलन करते हैं. लगातार उठ रही इस तरह की आवाजों के बीच में मध्य प्रदेश सरकार ने अपने प्रदेश के दुग्ध उत्पादक किसानों को प्रोत्साहन के रूप में पांच रुपये प्रति लीटर देने का फैसला किया है. ये राशि नकद न देकर सीध दुग्ध उत्पादक किसान के खाते में स्थानांतरित की जाएगी.
हिमाचल के बाद एमपी सरकार ने लिया ये फैसला
हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने एमएसपी को लेकर फैसला ले लिया है. सरकार ने दूध पर एमएसपी बढ़ा दिया है. कहा जा रहा है कि इससे राज्य के पशुपालकों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. सरकार के इस फैसले से दूध की एक निश्चित कीमत तय हो जाएगी. पशुपालकों से एमएसपी से कम रेट पर कोई भी दूध नहीं खरीद पाएगा. ग्रेस सरकार ने हिमाचल प्रदेश में दुग्ध पर एमएसपी बढ़ाने का निर्णय लिया है तो किसानों कि विरोध को कम करने के इरादे से मध्य प्रदेश सरकार ने भी किसानों को प्रोत्साहन के रूप में पांच रुपये प्रति लीटर देने का फैसला किया है. एमपी सरकार इस प्रोत्साहन राशि पर प्रत्येक वर्ष 200 करोड़ रुपये वहन करेगी. अधिकारियों ने कहा कि मप्र में मोहन यादव की सरकार का ध्यान दूध उत्पादन बढ़ाना, दूध संग्रह को सुव्यवस्थित करना और किसानों को इसका लाभ प्रदान करना है. इसीलिए ये कदम उठाया गया है.
पांच रुपये प्रति लीटर देने पर सहमति बनी
इस लेकर सरकार की शीर्ष स्तर पर बैठक हुई, जिसमें किसानों को प्रोत्साहन के रूप में पांच रुपये प्रति लीटर देने पर सहमति बन गई है. वित्त विभाग ने भी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसलिए लोकसभा चुनाव की आचार संहित लगने से पहले इस प्रस्ताव को कैबिनेट की बैठक में लाकर पास करा दिया जाएगा. बता दें एमपी में दुग्ध संघ सहकारी समितियों के जरिए किसानों से हर रोज 10 लाख लीटर दूध खरीदता है. पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) लखन पटेल ने कहा, दूध किसानों को प्रोत्साहन के रूप में 5 रुपये प्रति लीटर देने का प्रस्ताव विचाराधीन है और जल्द ही निर्णय लिया जाएगा.
अमूल मॉडल हो सकता है एमपी में लागू
एमपी सरकार के अधिकारियों की मानें तो एमपी सरकार गुजरात के अमूल मॉडल को अपने राज्य में भी अपना सकती है.पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने कहा, मप्र में दूध का उत्पादन कम नहीं है, लेकिन कलेक्शन का नेटवर्क बहुत अच्छा नहीं हैं.
सीएम कर चुके हैं अमूल और सांची के अधिकारियों के साथ बैठक
बता दें कि मध्य प्रदेश के दुग्ध उत्पादकों की खरीद को सुनिश्चित करने और डेयरी किसानों को दूध का वाजिब दाम दिलाने के लिए विगत 10 जनवरी—2024 को गुजरात के अहमदाबाद में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सांची और अमूल की संयुक्त बैठक में हिस्सा लेकर दोनों संगठनों के अधिकारियों के साथ बैठककर विभिन्न संभावनाओं पर विचार किया.
सीएम ने दिए रोडमैप तैयार करने का निर्देश
सीएम मोहन यादव ने डेयरी किसानों के हितों को मजबूत करने के लिए दूध संग्रहण, गुणवत्ता नियंत्रण, प्रसंस्करण, विपणन, क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण, मानव संसाधन, डेयरी किसानों पर केंद्रित कल्याणकारी योजनाओं के संबंध में मप्र और गुजरात के दुग्ध संघों और दुग्ध संघों की सामूहिक भागीदारी के लिए एक रोडमैप तैयार करने का निर्देश दिया है.
उत्तराखंड मॉडल से किसानों को हो रहा फायदा
बता दें कि उत्तराखंड सरकार ने अपने राज्य के दुग्ध उत्पादक किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए 2021 में देहरादून में ‘दूध मूल्य प्रोत्साहन योजना’ की थ्ज्ञी, जिसका मकसद प्रदेश के करीब 53 हजार लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना था। सरकार अपने के यहां पर 500 दूध बिक्री केंद्र खोलने के लिए 444.62 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य रखा है. यह एक डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर (डीबीटी) योजना है, योजना के तहत राशि सीधे लाभार्थियों के खातों में उनके लिंक किए गए बैंक खातों के माध्यम से जाएगी.
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