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Animal Husbandry: बाढ़ से पशुओं को बचाने के लिए क्या करें उपाय, यहां पढ़ें सरकारी एडवाइजरी

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पशुपालन में तभी फायदा होता है, जब पशुओं की देखरेख अच्छे ढंग से की जाए. यानि जैसी जरूरत है उस हिसाब से उसकी देखरेख की जाए. गौरतलब है कि बिहार जैसे राज्य में बाढ़ का संकट बहुत गहरा रहता है. यहां पर महीनों बाढ़ का असर दिखता है. एक बार जब बारिश शुरू हो जाती है तो खेतों में पानी भर जाता है. नदियां के पानी की वजह लोगों के घर तक डूब जाते हैं. कटान की समस्या दिखती है. ऐसे में लोग मुश्किल से खुद को बचा पाते हैं लेकिन उनके सामने पशुओं की भी हिफाजत का मसला रहता है. क्योंकि जो पशुपालन करते हैं, उनकी पशुओं से ही कमाई होती है. अगर ऐसे में बाढ़ का असर पशु पड़ता है तब उन्हें नुकसान हो जाता है.

कई बार तो बाढ़ की वजह से पशुओं की जान भी चली जाती है. होता ये है कि अक्सर जब बारिश होती है तो अचानक रातों रात नदियों का पानी बढ़ जाता है और फिर पशु कई बार पानी में बह जाते हैं. इस समस्या को बिहार सरकार भी समझती है. यही वजह है कि बिहार सरकार के पशु और मत्स्य संसाधन विभाग बाढ़ की स्थिति में पशु प्रबंधन को लेकर एडवाइजरी जारी की गई है. जिसमें पशुपालकों को यह बताया गया है कि बाढ़ की स्थिति में पशुओं का प्रबंध कैसे किया जाए. उनकी हिफाजत कैसे की जाए. तो आइए इस बारे में डिटेल से जानते हैं.

बाढ़ की स्थिति में पशु प्रबंधन का तरीका
बाढ़ आने की स्थिति में पशु को रखने की व्यवस्था ऊंचे स्थान पर करना चाहिए. जहां जल निकास की उचित व्यवस्था हो ताकि पशु परिसर साफ एवं सूखा रहे तथा गर्मी एवं नमी जनित रोगों से पशुओं को बचाया जा सकें.

पशुशाला को साफ एवं स्वच्छ रखने के लिये समय-समय पर कीटनाशक का उपयोग करना चाहिए.

पशु गृह को अत्यधिक नमी से बचाने के लिए पशुशाला में चूने का छिड़काव करना चाहिए.

पशुओं को संतुलित आहार तथा साफ एवं ताजा पानी उपलब्ध कराना चाहिए. बाढ़ में डुबी घास एवं पहले का भीगा हुआ भूसा आदि न खाने दें.

वहीं परजीवी और बाहरी परजीवी का प्रकोप इस समय काफी होता है. इसलिए इनसे बचाव के लिए सभी पशुओं में कृमिनाशक दवा का उपयोग अवश्य करें.

बाढ़ के समय मृत पशुओं से कई प्रकार की बीमारियों फैलने की संभावना अधिक होती है. इसलिए मृत पशुओं का निस्तारण सावधानीपूर्वक करें.

बीमार और घायल पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना चाहिए एवं उपचार हेतु पशु चिकित्सक से सम्पर्क स्थापित करना चाहिए.

संक्रामक रोगों से बचाव हेतु आवश्यक सावधानी बरतें.

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