नई दिल्ली. केंद्र सरकार अपना 2024 का बजट मंगलवार यानी 23 जुलाई 2024 को पेश करेगी. इस बजट पर देश के हर कारोबारी की नजर लगी हुई है. बजट में किसे क्या मिलेगा, वित्त मंत्री के पिटारे से कल ही खुलेगा लेकिन कारोबारियों ने उम्मीद तो लगा ही रखी हैं. इसी कड़ी में डेयरी उद्योग भी सरकार से कुछ उम्मीद लगाकर बैठा है,क्योंकि इंटरनेशनल मार्केट में इंडियन डेयरी प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ रही है. लेकिन जिस तेजी से डेयरी सेक्टर का विकास हो रहा है उतना फायदा पशुपालकों और छोटे डेयरी फार्मर को नहीं मिल पा रहा है. इसलिए डेयरी उद्योग भी कुछ मांग कर रहा है, जिससे इस कारोबार को भी पंख लग सकें. बजट को लेकर इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट आरएस सोढ़ी ने बताया कि अगर सरकार डेयरी सेक्टर को सिर्फ एग्रीकल्चर में शामिल कर ले तो दो बड़े फायदे हो सकते हैं. अगर सरकार ऐसा कर देती है तो इससे केंद्र सरकार को भी लाभ होगा. उसका किसानों की आय को दोगुना करने का वादा भी पूरा हो जाएगा. बता दें कि पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022-23 के कुल दूध उत्पादन में बकरी के दूध की हिस्सेदारी 3.30 फीसद है. आज देश ही नहीं विदेशों में भी बकरी के दूध की डिमांड है. बच्चों की ज्यादातर दवाईयों में बकरी का दूध इस्तेमाल होता है.
केंद्र की मोदी सरकार मंगलवार यानी 23 जुलाई 2024 को पेश करेगी. इस बजट पर देश में डेयरी उद्योग से जुड़े कारोबारियों की भी नजर लगी हुई है. इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट आरएस सोढ़ी ने बताया कि आज डेयरी सेक्टर की ताकत उसकी मजबूत सप्लाई चेन है. बेशक दूध उत्पादन अनर्गनाइज्ड है, लेकिन वैल्यू चेन, पैकिंग, प्रोसेसिंग तकनीक सब इतनी ऑर्गनाइज्ड है कि ग्राहक को ताजा डेयरी प्रोडक्ट मिल रहे हैं. देश ही नहीं विदेशों में भी बड़ी मात्रा में डेयरी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट किए जा हैं. आज विश्व के कुल दूध उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 23 फीसद है.
आय और नौकरी दोनों ही बढ़ जाएंगी
अमूल के पूर्व एमडी आरएस सोढ़ी के अनुसार अगर केंद्र सरकार डेयरी उद्योग को कृषि की श्रेणी में शामिल कर रहे तो इससे सरकार और डेयरी उद्योग दोनों ही लाभ होगा. सरकार को तरह से लाभ होगा. इससे कम जमीन या फिर भूमिहीन किसानों की न सिर्फ अच्छी आय होगी बल्कि आय भी दो गुना हो जाएगी. क्योंकि अभी डेयरी सेक्टर को एक इंडस्ट्री तौर पर ही शामिल किया गया है. उसी हिसाब से डेयरी को बिजली की दरें तय की जाती हैं. इनकम टैक्स भी उसी दायरे में वसूला जा रहा है. दूध और दूध से बने प्रोडेक्टस पर टैक्स कम से कम लगना चाहिए. अगर सरकार इसे एग्रीकल्चर की कैटेगिरी में शामिल करने के साथ ही इसमे इंवेस्ट बढ़ाती है और डेयरी से जुड़े स्टार्टअप को मदद देती है तो इससे नौकरियों के अवसर भी बढ़ेंगे.
सरकार मदद करें तो बूंद-बूंद दूध का होगा इस्तेमाल
इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट आरएस सोढ़ी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि हमारे देश में दूध का प्रोडेक्शन सरप्लस हो रहा है. अगर गर्वमेंट डेयरी सेक्टर को मदद कर दे तो तो दूध उत्पादन बढ़ने से वो बेकार नहीं जाएगा. हमारे पड़ोसी देशों में दूध और उससे बने प्रोडेक्ट की मांग बहुत है. दूध पर एमएसपी के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं दूध की एमएसपी के समर्थन में नहीं हूं. क्योंकि एमएसपी तय होने के बाद अगर वक्त से दूध नहीं बिका तो वो बेकार हो जाएगा. सरकार दूध खरीदेगी नहीं. क्योंकि अगर सरकार दूध खरीदेगी तो फिर सरकार को दूध रखने के लिए प्रोसेसिंग प्लांट तैयार कराने होंगे. इसलिए एमएसपी की बात करना बेमानी है.
डेयरी प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट भी बढ़ने लगा है
इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट आरएस सोढ़ी ने बताया कि एपीडा के आंकड़ों पर गौर करें दो साल के मुकाबले 2021-22 में डेयरी प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट कई गुना बढ़ गया है. इस मामले में भारत से बड़ी मात्रा में डेयरी प्रोडक्ट खरीदने वालों में 10 प्रमुख देश हैं. यह वो देश हैं जिन्होंने इस साल कई गुना ज्यादा दूध, घी और मक्खन के साथ दूसरे प्रोडक्ट खरीदे हैं. इसमे पहले, दूसरे और तीसरे नंबर पर बांग्लादेश 684 करोड़, यूएई 438 करोड़ और बहरीन 214 करोड़ रुपये हैं. जबकि साल 2019-20 में बांग्लागदेश ने 8 करोड़ के डेयरी प्रोडक्ट , यूएई ने 264 करोड़ और बहरीन ने 25 करोड़ रुपये के डेयरी प्रोडक्ट भारत से खरीदे थे.
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