नई दिल्ली. बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग में ज्यादातर किसान आंगन में मुर्गीपालन करते हुए मुर्गियों को पालकर अच्छी खासी आमदनी कमाते हैं. दिन में मुर्गियों को खेतों में छोड़ दिया जाता है और रात में सुरक्षा के लिये उन्हें पेड़ों पर चढ़ा दिया जाता है. या छोटे से दड़बों में बंद कर दिया जाता है. हालांकि कई बार जरूरी आवास व्यवस्था न होने के कारण मुर्गियों के प्रोडक्शन पर गलत असर पड़ता है लेकिन बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग एक तरह से फ्री में मुर्गियों को पालकर अच्छी कमाई की जा सकती है. मुर्गियों के लिए ज्यादा खर्च की जरूरत नहीं पड़ती है.
अगर आप भी फ्री में मुर्गी पालन करना चाहते हैं तो इसके लिए अब आपको मुर्गियों की जरूरत होती. मुर्गी अगर है तो फिर न तो दाना-पानी पर ज्यादा खर्च करना होगा न ही रहने की अवास बनाना होगा. आइए इस बारे में जानते हैं.
गांवों में मुर्गीपालन की क्या है खासियत
एक्सपर्ट के मुताबिक यह व्यवसाय घर के आंगन में 20-25 मुर्गियों पाल कर किया जा सकता है.
घर के पिछवाड़े मुर्गीपालन में मुर्गियों दिन में बाहर खेतों में घूमती रहती है तथा रात में उन्हें पेड़ों पर अथवा दड़यों में रखा जाता है.
मुर्गियों दिन में खेतों में पड़े अनाज के दाने, बीज, खरपतवार आदि खाकर अपना पेट भरती हैं तथा किसान सीमित मात्रा में घर की झूतन, खराब अनाज आदि मुर्गियों को खिलाता है.
मुर्गियों का अंडा उत्पादन बहुत कम होता है. मुर्गियों का वार्षिक अंडो उत्पादन 40-50 अंडे होता है और अंडे क रंग भूरा व वजन भी बहुत कम होता है.
वयस्क मुर्गियों का वजन 1 किलो तथा मुर्गों का वजन 1.5 किलो होता है, जो कि उन्नत नस्लों के मुकाबले में बहुत कम है लेकिन लागत बिल्कुल क लगती है.
आमतौर से मुर्गी 10-12 अंडे देने के बाद कुड़क हो जाती है और अंडे सेने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाती है.
अंडे से चूजे निकलने के बाद मुर्गी एक माह तक उसकी देखभाल करती है और उसके बाद फिर अंडे देने लगती है.
इस प्रकार यह चक्र एक वर्ष में 4-5 बार चलता है और कुल अंडा उत्पादन 40-50 अण्डा होता है.
चूजों को पालते समय उनकी मृत्युदर बहुत अधिक होती है.
संक्रामक रोगों के प्रकोप के कारण मुर्गियों में भी मृत्युदर ज्यादा होती है.
उचित आवास के अभाव में कुत्तों, बिल्लियों व अन्य जंगली पशुओं द्वारा चूजों व मुर्गियों को खाने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है.
अगर इन सब से चीजों को कर लिया जाए तो घर आंगन में मुर्गी पालन किया जा सकता है और कमाई भी हो सकती है.
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