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Dairy Farm बनाते समय इन पांच काम को जरूर करें, उत्पादन और पशुओं की सेहत से है इसका सीधा कनेक्शन

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प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली. पशुपालन में पशु का आवास जितना ज्यादा साफ और आरामदायक होता है, पशु की हैल्थ उतनी ही ज्यादा ठीक रहती है. जिससे वह अपनी क्षमता के अनुसार उतना ही अधिक दूध उत्पादन करने में सक्षम हो सकता है. इसलिए दुधारू पशु के लिए साफ सुथरी और हवादार पशुशाला का निर्माण बेहद ही जरूरी है. क्योंकि इसके न होने से पशु कमजोर हो जाता है और उसे कई तरह की बीमारी लग जाती है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो पशुओं को बीमारी लगने का मतलब ये है कि पशुपालकों को दोहरा नुकसान, एक तो इलाज करने में अलग से पैसा लगाना होगा, जबकि दूध का उत्पादन कम होने से भी घाटा उठाना पड़ेगा.

पशुशाला का स्थान समतल तथा बाकी जगह से कुछ ऊंचा होना जरूरी है ताकि बारिश का पानी, मल-मूत्र तथा नालियों का पानी आदि आसानी से बाहर निकल सकें. यदि गहरे स्थान पर गौशाला बनायी जाती है तो इसके चारो ओर पानी तथा गंदगी इकट्ठा होती रहती है. जिससे गौशाला में हमेशा बदबू रहती है. गौशाला के स्थान पर सूरज की रौशनी का होना भी जरूरी है. धूप कम से कम तीन तरफ से लगनी चाहिए. गौशाला की लम्बाई उत्तर-दक्षिण दिशा में होने से पहले व पश्चिम से सूरज की रोशनी खिड़कियों व दरवाजों के द्वारा गौशाला में प्रवेश करेगी. सर्दियों में ठंडी व वर्फीली हवाओं से बचाव का ध्यान रखना भी जरूरी है.

सड़क के नजदीक होनी चाहिए गौशाला
गौशाला का स्थान पशुपालक के घर के नजदीक होना चाहिए ताकि वह किसी भी समय आवश्यकता पड़ने पर जल्दी डेयरी फार्म तक पहुंच सके. वहीं गौशाला का सड़क के नजदीक होना जरूरी है ताकि दूध ले जाने, दाना चारा व अन्य सामान लाने-लेजाने में आसानी हो तथा खर्चा भी कम हो.

बिजली, पानी की सुविधा होनी चाहिए
गौशाला के स्थान पर बिजली व पानी की उपलब्धता का भी ध्यान रखना जरूरी है. क्योंकि डेयरी के कार्य के लिए पानी की पर्याप्त मात्रा में जरूरत होती है. इसी तरह मौजूदा समय में गौशाला के लिए बिजली का होना भी जरूरी है क्योंकि रात को रोशनी के लिए और गर्मियों में पंखों के लिए इसकी जरूरत होती है.

चारे और बिक्री की सुविधा
गौशाला के स्थान का चयन करते समय चारे की उपलब्धता का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. क्योंकि चारे के बिना दुधारू पशुओं का पालना मुश्किल है. हरे चारे के उत्पादन के लिए पर्याप्त मात्रा में सिंचित कृषि योग्य भूमि का होना भी आवश्यक है. चारे की उपलब्धता के मुताबिक दुधारू पशुओं की संख्या रखी जानी चाहिए. पशुओं के कार्य के लिए मजदूर की भी जरूरत पड़ती है. क्योंकि बिना मजदूर बड़े पैमाने पर डेयरी का काम करना मुश्किल है. डेयरी उत्पाद जैसे दूध, पनीर, खोया आदि की बिक्री की सुविधा भी पास में होना जरूरी है. इसलिए स्थान का चयन करते समय डेयरी उत्पाद की बिक्री सुविधा को भी ध्यान में रखना जरूरी है.

ये काम भी जरूर करें
पशुशाला एक साफ सुथरे वातावरण में बनानी चाहिए. प्रदूषित वातावरण पशुओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता है. जिससे दुग्ध उत्पादन में कमी हो सकती है. पशुशाला के आसपास जंगली जानवरों का प्रकोप बहुत कम अथवा बिल्कुल नहीं होना चाहिए ताकि इनसे दुधारू पशुओं को खतरा न हो.

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