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Goat: प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के बाद बकरियों की अच्छी सेहत के लिए करें ये काम, मेमने का भी रखें ख्याल

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फार्म पर चारा खाते बरबरे बकरे

नई दिल्ली. पशुओं की देखरेख का तरीका हर उम्र और अवस्था में अलग-अलग होता है. चाहे वो प्रेग्नेंसी का पीरियड हो या फिर डिलीवरी के बाद का वक्त. एक्सपर्ट का कहना है कि जब पशु गर्भावस्था के आखिरी डेढ़ महीने में होते हैं तो उनको हाई न्यूट्रीशियन डाइट पर रखना चाहिये. उन्हें मिनरल मिक्सचर व विटामिन मिक्सचर जरूरी मात्रा में दिया जाना चाहिए. गर्भावस्था में एनर्जी, प्रोटीन, विटामिन व मिनरल की जरूरत बढ़ जाने के कारण इन पोषक तत्वों की कमी होने की संभावना रहती है. जिसका सीधा संबंध बकरियों में अधिक मृत्युदर व बच्चों के सरवाइवल से है.

बैक्टीरिया और वायरस और वायरस से होने वाले रोगों के खिलाफ हर बकरी को वैक्सीन लगवाना चाहिए. खासतौर पर मेमनोे में टिटनेस के बचाव के लिए, गर्भित बकरी को टिटनेस के टीके दिये जाने चाहिये. गर्भवती बकरियों में यदि टीका नहीं लगाया गया हो तो गर्भावस्था के आखिरी हिस्से में वैक्सीनेशन किया जा सकता है. ताकि मां के साथ-साथ बच्चे में भी खीस के द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाए.

आखिरी दो हफ्ते में क्या करें
प्रेग्नेंसी के आखिरी एक या दो हफ्ते में सभी इंटेस्टिनल परजीविपयापें के खिलाफ डि​वार्मिंग करना बेहद ही जरूरी होता है. दूध पीने के दौरान दूध की मात्रा बनाये रखने के लिए निर्धारित मात्रा में दाने / रातव, मिनरलस मिक्सचर (5-15 ग्राम) देना चाहिये. वहीं डिलीवरी के समय से लगभग एक सप्ताह पहले गाभिन बकरियों को रेवड़ से अलग कर उन्हें आरामदायक सूखे व स्वच्छ बाड़े में रखना चाहिए. जहां तक हो सके उन्हें एक्साइटमेंट, परिवहन, विपरीत मौसम से बचाने की कोशिश करना चाहिए.

अच्छे से थनों की करें धुलाई
प्रसव के लिये निश्चित स्थान बनाना फायदेमंद रहता है. आडियल माटरनेल बाड़ा छोटा, स्वच्छ, सूखा तथा जहां तक सम्भव हो सके उसमें गंदगी और वेस्ट नहीं होना चाहिए. बाड़े में गेहूं या घास के भूसे को साफ बिछावन तथा उस पर 2-3 किलोग्राम चूना प्रति 100 वर्ग मीटर क्षेत्र की दर से छिड़काव द्वारा सकल कॉंटीमिनेशन से बचाव हो जाता है. डिलीवरी से पहले रीप्रोडक्टिव आर्गन एरिया व थनों की पूरी तरह से धुलाई करनी चाहिए. नवजात बच्चों में दूध पीने के दौरान संक्रमण नहीं होता.

थनों को थैली ढक दें
दूध पिलाने के बाद थनों को किसी थैली से ढक देना बेहतर होता है. वहीं गर्भाशय के संक्रमण से बचाव के लिये योनि के अन्दर तक प्रतिजैविकी (एण्टीवैक्टीरियल) बोलस निविष्ट कर देना चाहिए. प्रतिधारित प्लैसेन्टा को हल्के कर्षण द्वारा निकाला जा सकता है, किन्तु असफल होने पर पशु चिकित्सक की सहायता आवश्यक हो जाती है.

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