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Poultry Farming: बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग में मुर्गियों से अच्छा प्रोडक्शन पाने के लिए करें ये दो काम

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पोल्ट्री फॉर्म में चूजे. live stock animal news

नई दिल्ली. बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग में मुर्गियां खुले क्षेत्र में आसानी से अपने फीड को उठाती हैं. एक्स्ट्रा फीड के तौर पर सप्लीमेंट की जरूरत घर-आंगन में उपलब्ध वनस्पति, अपशिष्ट अनाज, कीड़ों, सफेद चींटियों, घास के बीज आदि की उपलब्धता पर निर्भर करती है. मुर्गियों में ऊर्जा की कमी आम है. इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध विभिन्न अनाजों का फीड पक्षियों को खिलाना, हमेशा मुक्त-क्षेत्र की परिस्थितियां के तहत उत्पादन को बनाए रखने के लिए बेहतर होता है. सप्लीमेंट फीड की प्रकृति, पक्षी पालन के उद्देश्य पर निर्भर करती है. मांस के लिए पाली जाने वाली मुर्गियों को का​मर्शियल ब्रॉयलर को दिए जााने वाले फीड को खिलाने का सुझाव दिया जाता है.

वहीं पक्षियों को पालने का उद्देश्य अंडा उत्पादन है, तो मुर्गियों को मुक्त क्षेत्र परिस्थितियों में उपलब्ध फीड पर काफी हद तक निर्भर होना चाहिए. आवश्यकता के आधार पर घरेलू अनाज बाजरा, रागी, ज्वार, कोरा, टूटे हुए चावल, चावल पोलिश या चावल की भूसी के बराबर भागों में अनाज की आपूर्ति करें. पक्षियों के टारगेटेड बॉडी वेट को ध्यान में रखते हुए फीड को दिया जाना चाहिए. मादा पक्षियों के वज़न को 6.0 से 6.5 महीने की उम्र में 2.2 से 2.5 किलोग्राम के बीच सीमित रखने के लिए ध्यान रखा जाना चाहिए. टूटे और अनकवर्ड अंडों को कम करने के लिए कैल्शियम स्रोत चूना पाउडर, शैल ग्रिट, पत्थर की ग्रिट, आदि दिया जाता है.

बीमारी से बचाना भी है जरूरी
वहीं मुक्त-क्षेत्र पालन के अंतर्गत पक्षियों को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण रोग न्यूकैसल रोग हैं. विभिन्न परिवारों के झुंड के बीच संपर्क ही रोग प्रसार के महत्वपूर्ण स्रोत हैं. रहने की जगह में अच्छा वेंटिलेशन और रोशनी होना चाहिए, ताकि परभक्षियों से पक्षियों को संरक्षण मिल सके. रहने की जगह पर लकड़ी और बांस का उपयोग, बाहरी परजीवियों को छिपने के लिए उपयुक्त स्थान प्रदान करता है. प्रचुर मात्रा में पक्षियों को स्वच्छ और ताजे जल की उपलब्धता कराना बेहतर होता है. चूंकि चूजे मुक्त-क्षेत्र में विचरण करते हैं, इसलिए परजीवी संक्रमण की संभावना होती है. इसलिए, 2 से 3 महीने के गैप पर कृमिनाशन आवश्यक है. मुक्त क्षेत्र परिस्थितियों के तहत वयस्क वनराजा को रानीखेत रोग के लिए 6 महीने के अंतराल पर टीका लगाया जाना चाहिए.

110 अंडे देती हैं मुर्गियां
विशेषकर गर्मियों की शुरुआत से पहले पूर्व होना चाहिए. देशी पक्षियों से वनराजा में रोग संचरण होने की सम्भावना होती है. इसलिये वनराजा के साथ देशी पक्षियों के टीकाकरण की सिफारिश की गई है. वनराजा के नर कम-घनत्व वाले फीड पर लगभग 10 से 12 हफ्तों की उम्र में जरूरी शरीर भार हासिल करने के योग्य हो जाता है. वनराजा के मादा पक्षी मुक्त-क्षेत्र परिस्थितियों के तहत प्रति वर्ष 110 अंडे तक देते हैं. पूरक अनाज खिलाने के साथ मुक्त क्षेत्र संमार्जक परिस्थितियों के तहत मादाओं का पालन करना फायदेमंद होता है.

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