नई दिल्ली. यह बात बिल्कुल फैक्ट है कि गर्मियों के दिनों में पशुओं को पानी की ज्यादा आवश्यकता होती है. जाहिर सी बात है कि जब 40 से 42 डिग्री तापमान रहता है तो इंसानों को क्या जानवरों को भी ज्यादा प्यास लगती है. इस वजह से पशुओं में पानी की कमी हो जाती है. एनिमल एक्सपर्ट कहते हैं कि पीने के पानी की कमी की वजह से इस मौसम में पशुओं को कई तरह की बीमारियां घेर लेती हैं. खासतौर पर पशु को डिहाइड्रेशन और हीट स्ट्रेस जैसी बड़ी समस्या हो जाती है. कुछ दिन पहले वेटरिनरी यूनिवर्सिटी राजुवास, बीकानेर के एक्सपर्ट ने पशुओं के पानी पीने के संबंध में एक एडवाइजरी जारी की थी.
राजुवास की ओर से जारी की गई एडवाइजरी का मतलब यह था कि पशुओं को किसी भी तरह से पानी की कमी न होने पाए. क्योंकि कहीं ना कहीं पानी की कमी का असर उत्पादन भी पड़ता है और अगर उत्पादन पर असर पड़ता है तो पशुपालकों को इसका नुकसान झेलना पड़ता है. वहीं अगर पशु बीमार पड़ गए तो दोहरा नुकसान पशुपालकों को उठाना पड़ता है. इसलिए जरूरी है कि एक्सपर्ट की दी गई सलाह पर गौर करें और पशु एक्सपर्ट की ओर से बताए गए नीचे दिए गए कामों को भी करना शुरू कर दें.
इन चीजों को फॉलो करें
-पशुओं को बार-बार पानी पिलाते रहना चाहिए ताकि उन्हें प्यास का एहसास ना हो.
-जहां तक हो सके पशुओं को ताजा और ठंडा पानी पिलाएं. इससे पशुओं को फायदा मिलेगा.
-इतना ही नहीं पशुओं के शरीर पर दिन में काम से कम तीन बार पानी का छिड़काव करना चाहिए. इससे उन्हें राहत महसूस होती है.
-पशुओं को सुखी तूड़ी 30 फ़ीसदी और हरा चारा 70 फ़ीसदी खिलाना चाहिए.
-ताजा तूड़ी खिलाने से पहले उसे भिगा लेना फायदेमंद होता है. शाम को भिगोकर रखी गई तूड़ी सुबह खिलाई जा सकती है.
-पशु के सामने हमेशा नमक का बड़ा टुकड़ा रखना चाहिए. इसे चाटने से भी प्यास नहीं लगती है.
-पशुओं को सुबह शाम जरूर नहीं लाएं. अगर आप नहीं नहलाते तो उन्हें परेशानियां हो सकती हैं.
-जहां पर पशु बांधे जा रहे हैं वहां पर पानी का छिड़काव करना चाहिए. वहां का वातावरण ठंडा रखने चाहिए.
-पशुओं को छायादार जगह पर बांधना चाहिए. अगर टीनशेड आदि में बढ़ रहे हैं तो वहां पर कूलर वगैरा की व्यवस्था भी कर देनी चाहिए.
-पानी की कमी महसूस होने पर घर पर ही नमक चीनी से तैयार घोल पिलाते रहना चाहिए ताकि पशुओं को किसी तरह की परेशानी से बचाया जा सके.
पानी की कमी के लक्षण
एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर पशुओं में पानी की कमी हो जाती है तो इसके कई लक्षण हैं. जिससे इसकी पहचान की जा सकती है. पशुओं को भूख नहीं लगती उन्हें सस्ती और कमजोरी होती है. पेशाब गाढ़ा हो जाता है. वजन कम हो जाता है. आंखें सूख जाती हैं. चमड़ी सूखी और खुरदरी हो जाती है और पशुओं को उत्पादन भी काम कर देते हैं. पशुओं की चमड़ी को उंगलियों से पड़कर ऊपर उठते हैं तो थोड़ी देर से अपनी जगह पर वापस आती है, यह भी पहचान है.
Leave a comment