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Poultry Farming: कमाई में डबल धमाका है ईमू, जानिए किन किन चीजों के काम आता है ईमू

ईमू के बच्चे का वजन करीब साढ़े तीन से साढ़े चार किलो ग्राम तक होता है. मुर्गियों के बच्चों की तरह ईमू के बच्चों को भी ब्रडिंग की जरूरत होती है.
प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. आज गेहूं, सरसों, मक्का, बाजरा और धान इन सबकी खेती के साथ-साथ किसान पोल्ट्री फार्म में भी है हाथ आजमा रहे हैं. पोल्ट्री से अपनी इनकम को बढ़ा रहे हैं. पोल्ट्री फार्म सिर्फ मुर्गियों के पालन से ही नहीं कई अन्य पक्षी भी ऐसे हैं जिनका पालन कर से आप अपनी इनकम में ग्रोथ कर सकते हैं. एक ऐसा ही पक्षी है ईमू. जिसको पालकर आप अपने पोल्ट्री से अच्छी कमाई कर सकते हैं. ईमू कई सारे कामों के लिए पाला जाता है. मुर्गी पालन से कई गुना अच्छी कमाई ईमू देता है. एक ईमू का अंडा करीब आधा किलो के वजन का होता है. यानी अगर तुलना करें तो मुर्गियों के 14 अंडों के बराबर इसका एक अंडा होता है. जिसमें कैल्शियम की बहुत अधिक मात्रा होती है.

ईमू के अंडों के ऊपर कलाकृति बनाकर सजाने का काम भी किया जाता है. ईमू में हेल्थ का इशू कम होता है और उनकी लाइफ लंबी होती है. इसलिए पोल्ट्री से अच्ची कमाई ईमू दे सकते हैं. पोल्ट्री में कई सारी बीमारियों का खतरा भी रहता है लेकिन ईमू की इम्युनिटी काफी अच्छी होती है, जिससे ईमू के रखरखाव में बहुत कम खर्च होता है. हालांकि उनके छोटे बच्चों की देखभाल अच्छे से करनी पड़ती है और उन्हें वैक्सीनेशन समय-समय पर करवाना पड़ता है.

ईमू क्यों पालें: उसके आपको लाभ बताते हैं, ईमू पालने में इसके तेल ईमू के पंख उनकी चमड़ी इनके नाखून और इनका मीट व अंडा यह सारी चीजें बाजार में अच्छे भाव में बेची जा सकती हैं. ईमू के अंडे को डेकोरेट करके सजाया जाता है. इसलिए उसका अंडा काफी महंगा बिकता है. ईमू का एक अंडा डेढ़ किलो ग्राम तक का होता है. ईमू के तेल की बात की जाए तो ईमू का तेल बहुत उपयोगी होता है और कई सारी गुणवत्ता इसमें होती हैं. घोड़े के घाव की ड्रेसिंग, सूजन कम करने और आर्थराइटिस की ट्रीटमेंट में ईमू का तेल काम में आता है. कई कॉस्मेटिक बनाने के काम में भी ईमू के तेल को इस्तेमाल करते हैं. ईमू का तेल जीवाणु नाशक होता है.

काम के हैं पंख: ईमू के पंखों की बात की जाए तो उनके पंख भी काम में आते हैं, पर्स बनाने के काम में इनके पंखों का उपयोग किया जाता है. पंख से खूबसूरत पंखे भी बनते हैं. ईमू के चमड़े से जूते, पर्स, बेल्ट यह सब चीज बनाई जाती हैं. कुछ सजावटी चीज भी ईमू की चमड़े की बनती हैं. ईमू के जो नाखून है उनका भी इस्तेमाल किया जाता है. ईमू के नाखूनों का इस्तेमाल आर्टिफिशियल ज्वेलरी बनाने के काम में किया जाता है. वहीं ईमू का जो मीट है उसकी मांग काफी बढ़ रही है. अपने यहां कुछ राज्यों में ईमू का पालन किया जाता है.

एक साल में 25 अंडे: अपने यहां कुछ राज्यों में ईमू का पालन किया जा रहा है ईमू की जो मादा होती है वह 1 साल में करीब 25 अंडे देती है. एक चूजे की कीमत करीब 2500 रुपये तक होती है और चूजा हर साल लगभग 6250 यानी 62500 तक के विकसित बिक जाते हैं. यानी एक अंडे की कीमत करीब 600 रुपये होती है. एक अंडा विक्रय प्रतिवर्ष 15000 की कमाई देता है. 15 महीने के एक ही ईमू का वजन लगभग 40 किलो होता है. बाजार में बिक्री के लिए आठ माह से 18 माह तक का ईमू बेचने के लिए तैयार हो जाता है. ईमू के अंडे का रंग हरा होता है. ईमू अक्टूबर से फरवरी के बीच में अंडा देती है.

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