नई दिल्ली. गुरु अंगद देव वेटरनरी एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी गढ़वा स्कूल लुधियाना में तीन दिवसीय वाइस चांसलर के भारतीय कृषि बागवानी, पशुपालन, मछली पालन से जुड़े 6 खास सब्जेक्ट पर एक्सपर्ट ने अपनी-अपनी राय रखी. खासतौर पर पशुधन और कृषि क्षेत्रों में तमाम समस्याओं पर चर्चा हुई. एक्सपर्ट को इस सम्मेलन में इन सभी क्षेत्रों में मौजूदा चुनौतियों और आने वाली चुनौतियों को एक-दूसरे से समझने का मौका मिला. कहा जा रहा है कि भविष्य में इन मुश्किलों का हल ढूंढने में इससे नीति बनाने वालों को मदद मिलेगी.
भारतीय कृषि विश्वविद्यालय के बैनर तले ये आयोजित किए गए सम्मेलन में आईएयूए के अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर सिंह ने कहा कि पांच तकनीकी सत्रों के विचार-विमर्श से निकली सिफारिशें किसानों के लाभ के लिए और बाद में नीति निर्माताओं के लिए नीतियां विकसित करने में सहायक होंगी. डॉ. इंद्रजीत सिंह ने कहा कि इस सम्मेलन ने कुलपतियों और नीति निर्माताओं को कृषि और पशुधन क्षेत्रों के किसानों सहित अन्य हितधारकों के साथ बातचीत करने का अवसर प्रदान किया है, और वर्तमान चुनौतियों और चल रही और आगामी चुनौतियों को हल करने के उपायों पर चर्चा की है.
खेतों में मौजूद कचरे को रीसाइकल करने की जरूरत
पीएयू के अनुसंधान निदेशक डॉ. एएस धट्ट ने बागवानी की स्थिति, चुनौतियों और दृष्टिकोणों पर अपनी बात रखते हुए कहा कि ये उत्पादकता में वृद्धि और बागवानी फसलों के आयात और निर्यात में वृद्धि का संकेत देते हैं. डॉ. सोहन सिंह वालिया, निदेशक स्कूल ऑफ ऑर्गेनिक फार्मिंग, पीएयू ने खेत में कचरे को रीसाइकल किया जाने पर जोर दिया. कचरे को कम करने के लिए एकीकृत कृषि मॉडल को प्रोत्साहित किया जाने की जरूरत को बारे में उन्होंने बताया. एकीकृत कृषि प्रणाली से रासायनिक उर्वरक के उपयोग में कमी आ सकती है और किसानों के लिए स्थायी आय सुनिश्चित हो सकती है.
घटते जलस्तर पर जताई चिंता
डॉ. बलजीत सिंह, उपाध्यक्ष (अनुसंधान), सास्काचेवान विश्वविद्यालय, सास्काटून, कनाडा ने “एक ग्रह, एक स्वास्थ्य और एक भविष्य” पर बात की. डॉ. सिंह ने खाद्य सुरक्षा, ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन और वैश्विक स्तर पर घटते जलस्तर की चुनौतियों पर रौशनी डाली. इसके साथ ही उन्होंने पर्यावरण प्रणाली की जटिलता को दूर करने के लिए एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण की आवश्यकता का उल्लेख किया. क्योंकि वे एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि कृषि और पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय शून्य भूख, अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण, स्वच्छ पानी और स्वच्छता, जलवायु कार्रवाई, पानी के नीचे जीवन और भूमि पर जीवन सहित सतत विकास लक्ष्यों को रिसर्च से हासिल करने में योगदान दे सकते हैं.
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