नई दिल्ली. हरा चारा दुधारु पशुओं के लिए पोषक तत्वों का एक किफायती सोर्स है. यह पशुओं को बहुत ज्यादा टेस्टी लगता है और पशुओं को हरे चारे को पचाने में कोई दिक्कत भी नहीं आती है. इसमें मौजूद माइक्रो आर्गेनिज्म खाने की व्यवस्था के तहत फसल अवशेषों को पचाने में पशुओं की मदद करते हैं. यह पशुओं की प्रजनन क्षमता को बेहतर करने का एक बेहतरीन विकल्प हैं. साथ ही अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी हरा चारा बेहद ही कारगर साबित होता है. वहीं पशुओं की खुराक में हरे चारे का ज्यादा इस्तेमाल दूध उत्पादन के खर्च को कम कर सकता है.
हरे चारे की मांग और उपलब्धता के बीच के अंतर को कम करने के लिए, बेहतर चारा बीजों के अधिक इस्तेमाल से हरे चारे की उत्पादकता को बढ़ाने की जरूरत है. सालभर हरा चारा प्रोडक्शन करने के लिए, किसानों को कुछ कृषि विधियों को अपनानी चाहिए. आइए इसके बारे में यहां जानते हैं.
- हमेशा चारा फसलों को ज्यादा उपज देने वाली उन्नत किस्मों के सर्टिफाइड बीज रोपने वाली सामग्री का इस्तेमाल करना चाहिए.
- चारा उत्पादन के लिए बताई की गई कृषि विधियों जैसे कि खेत की तैयारी, समय से बुवाई, उर्वरकों का प्रयोग, सिंचाई, खरपतवार तथा कीट नियंत्रण और वक्त कटाई का इस्तेमाल करें.
- दो प्रमुख मौसमी फसलों के बीच में चारा फसलों की कम समय में पकने वाली किस्में जैसे कि मक्का, सूरजमुखी, चायनीज कैबेज, शलजम, लोबिया इत्यादि को बोएं.
- अन्न चारा फसलों जैसे कि मक्का, बाजरा और ज्वार को दलहनी चारा फसलों जैसे कि लोबिया, ग्वार, वैलवेट बीन के साथ उगाएं.
- अधिक उपज देने वाली बहुवर्षीय, एक से अधिक कटाई वाली फसलें जैसे संकर नेपियर घास को खेत तथा अन्य फसलों के खेतों की मेंढ़ों पर भी उगाएं.
- छांव से सहनशील फसल, गिनी घास को दलहनी चारा फसलों जैसे की स्टाईलो, सिराट्रो के साथ मिक्सचर फसल व्यवस्था में बगीचे में पेड़ों के बीच लगाएं.
- चारे के आडियल प्रोडक्शन तथा गुणवत्ता पाने के लिए एक से अधिक बार कटाई देने वाली फसलों को नियमित अंतराल (30 से 45 दिन) पर जमीन से 10 सेमी. की ऊचाई पर काटें.
- सामुदायिक / परती बंजर भूमी पर चराई के लिए सूखे से सहनशील बहुवर्षीय घारों जैसे कि अंजन घास, सेवन घास, रोडस घास तथा चारा वृक्ष जैसे कि देशी बबूल, नीम, शीशम, कंचन, अरडू, खेजड़ी, सुबबूल, सहजन और गिलिरीसिडीया उगाएं.
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