नई दिल्ली. भारत से बकरियां अरब देशों में एक्सपोर्ट की जाती हैं. वहां पर बकरियों का मीट खासा पसंद किया जाता है. इसलिए भारत में पाली जाने वाले बकरे-बकरियों की डिमांड वहां ज्यादा रहती है. भारत में बकरी पालन बड़े स्तर पर होताा है. वैसे भी इसे गरीबों की गाय कहा जाता है. इसलिए बहुत से लोग बकरी को अपने आंगन में पालते हैं और कमाई करते हैं लेकिन अब बकरी पालन व्यवसायिक रूप ले चुका है और बड़े पैमाने पर लोग इस कर रहे हैं. बकायदा तौर पर बकरी पालन के लिए शेड बनाए जा रहे हैं और इससे लोग लाखों करोड़ों कमा करते हैं.
एक्सपर्ट का कहना है कि बकरी के दूध और मीट दोनों से कमाई होती है. डेंगू जैसे खतरनाक बुखार का प्रकोप के दौरान बकरियों का दूध भी बेचकर पशुपालकों को अब बहुत ज्यादा कमाई हो रही है. वहीं मीट के लिए तो बकरी सदाबहार जानवर है. इसकी मांग देश के अलावा विदेशों में भी है. मीट की डिमांड हमेशा ही बनी रहती है और पशुपालक इसे बेचकर कमाई कर लेते हैं. अगर आप भी बकरी का पालन शुरू करना चाहते हैं तो करके अपनी इनकम को बढ़ा सकते हैं. इसके लिए जरूरी है कि बकरी पालन के बारे में कुछ खास जानकारी आपके पास रहे. उसी में एक खाने को लेकर यहां जानकारी दी जा रही है.
प्रोटीन वाला फूड जरूर खिलाएं
एक्सपर्ट की मानें तो सेलेनियम युक्त खनिजयुक्त नमक सभी बकरियों को साल भर देने से बहुत फायदा होता है. ज्यादा बेहतर उत्पादन करने के लिए कंप्लीट मिनरल्स को साल भर बकरी को देते रहना चाहिए. जब बकरियों को खिलाकर पाला जाता है, तो बकरियों को बहुत सेलेक्टिव होने और हाई क्वालिटी वाले आहार को खाने के लिए देना चाहिए. वहीं इसकी प्रचुर मात्रा में आपूर्ति कराई जानी चाहिए. जो उनकी पोषण संबंधी तमाम जरूरतों को पूरा कर सके. जब चारा सीमित हो या हल्की क्वालिटी वाला हो तो या उसमें सिर्फ 10 फीसदी प्रोटीन हो ऐसा चारा बकरियों को दिया जाना चाहिए, जिसमें उसकी जरूरत के हिसाब से प्रोटीन मिल सके. कई बार स्तनपान कराने वाली बकरियों और गर्भधारण के आखिरी 30 दिनों में भी ऐसा होता है कि उन्हें प्रोटीन की कमी हो जाती है.
मीट के लिए जरूरी है पोषक तत्व
वहीं ब्रीडर बकरे को 16 फीसदी प्रोटीन मिश्रण का 450 ग्राम से थोड़ा ज्यादा खिलाया जाना चाहिए. वहीं पिसा हुआ मक्का, सोयाबीन भोजन, विकल्प के रूप में दिया जा सकता है. स्तनपान कराने वाले पशुओं को पिसे हुए मक्के और सोयाबीन के भोजन को साबुत कपास के बीज से बदला जा सकता है. इसके जरिए गुणवत्ता वाला चारा जिसमें 10 फीसदी प्रोटीन हो वो गैर-ब्रीडर की आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है. जब चारा सीमित हो या कम गुणवत्ता वाला हो, तो दूध छोड़ने वाले एक साल के बच्चों को 16 फीसदी प्रोटीन मिश्रण का 450 ग्राम प्रति दिन खिलाया जाना चाहिए. बकरियों को टहनियां, पेड़ की छाल और कम गुणवत्ता वाला चारा खाने के लिए जरूर मजबूर किया जाता है लेकिन पशुपालकों को ये पता होना चाहिए कि यह एक ऐसी चीज है कि बेहतर मांस उत्पादन को ये चीजें नुकसान पहुंचाएंगी.
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