नई दिल्ली. मछली पालन बेहद ही मुनाफे का सौदा है. भारत में मछली की मांग बहुत ज्यादा है और एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 70 फ़ीसदी आबादी मछली का सेवन करती है. जबकि डिमांड के मुताबिक उत्पादन नहीं हो रहा है. यही वजह है कि सरकार मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं चलाती है और सब्सिडी भी देती है. अगर मछली पालक सही तरह से मछली पालन करें तो इससे अच्छा खासा मुनाफा कमाया जा सकता है और यह किसानों की आय को भी दोगुनी करने में भी मददगार है.
हालांकि जिस तरह से खेती-किसानी और पशुपालन में तमाम बातों का ख्याल रखना पड़ता है. इसी तरह से मछली पालन में भी कई जरूरी चीज है, जिनका ख्याल रखना जरूरी होता है. एक्सपर्ट के मुताबिक मछलियों का प्राकृतिक का आहार फ्लैंक्टन है जिसे छोटे-छोटे जलीय जीव भी कहा जाता है. कई बार तालाब में इसी कमी हो जाती है. तालाब में फ्लैंक्टन कम है या इसकी संख्या सही है इसकी जांच करना भी आना जरूरी है. लिए इस आर्टिकल में हम आपको इससे संबंधित जानकारी दे रहे हैं.
किस तरह कर सकते हैं जांच
मछलियों का प्राकृतिक आहार फ्लैंक्टन होता है जो छोटे-छोटे जलीय जीव होते हैं. जिन्हें खुली आंखों से देखना आसान नहीं है. तालाब के पानी के रंग को देखकर पता लगाया जाता है कि मछलियों का आहार फ्लैंक्टन पर्याप्त है या नहीं. अगर पानी का रंग भूरा है तो प्राकृतिक आहार ठीक मात्रा में है. इन्हें देखने के लिए पानी को किसी शीशे के बर्तन में गिलास से बोतल भर कर गौर से देखें. बहुत सारे जैसे छोटे-छोटे जीव नजर आएंगे. यह फ्लैंक्टन कहे जाते हैं.
पानी को लेकर छान लें
ये दो तरह के होते हैं. यदि जंतु समूह के होंगे तो इन्हें जू फ्लैंक्टन कहा जाता है और पौधा समूह के होंगे तो इन्हें वनस्पति फ्लैंक्टन कहेंगे. मछलियों की प्राकृतिक भोजन की उपलब्धता की जांच के लिए फ्लैंक्टन के माध्यम से 50 से 100 लीटर पानी तालाब के तमाम भागों से लेकर छाने. पानी तो जाली से बाहर निकल जाएगा लेकिन फ्लैंक्टन शीशे की नली में जमा हो जाएगा. इस शीशे की नली में नमक के दो चार दाने डाल दें. सारे फ्लैंक्टन मारकर नीचे बैठने लगेंगे.
सप्लीमेंट्स भी देना होता है
यदि बैठने के बाद इनकी मात्रा लगभग 1 मिली लीटर है तो तालाब में समुचित फ्लैंक्टन है. अन्यथा उचित व्यवस्था करनी पड़ती है. प्राकृतिक आहार के साथ-साथ मछलियों को जरूरी पूरक आहार भी देना पड़ता है. मछली की बढ़वार के लिए पूरक कर भी देना चाहिए. अगर तालाब में प्राकृतिक आहार की मात्रा ठीक न हो तो खाद डालें और पूरक आहार की मात्रा बढ़ा दें.
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