नई दिल्ली. बरसात (Monsoon) के मौसम में पानी के संतुलन को ठीक करने के लिए तालाब में चूना डाला जाता है. अगर एक एकड़ का तालाब है तो आप 50 से 60 किलो चूना डाल सकते हैं, जो तालाब के पीएच लेवल को मेंटेन कर देगा और मछलियों (Fish) की ग्रोथ करने में मदद करेगा. उत्तर प्रदेश के मछली पालन विभाग (Department of Fisheries, Uttar Pradesh) की मानें तो जबकि बारिश के पानी से होने वाले तमाम नुकसान को होने से बचा लेगा. हालांकि तालाब में चूने के अलावा कुछ और भी डाला जाता है.
प्रोबायोटिक डालने के क्या हैं फायदे
तालाब के अंदर चूना डालने के बाद 1 किलो की मात्रा में प्रोबायोटिक डालना चाहिए. ऐसा करने से पानी और मिट्टी दोनों की गुणवत्ता में सुधार होता है.
यह तालाब के पानी और मिट्टी को उपजाऊ बनाने में कारगर होता है.
बता दें कि प्रोबायोटिक अच्छे बैक्टीरिया का समूह होता है, जो तालाब में मौजूद सड़े गले और हानिकारक सूक्ष्म जीवों को तोड़कर खत्म कर देता है.
यह बैक्टीरिया तालाब की तली में जाकर वहां जमे हुए जैविक कचरे को प्राकृतिक तरीके से साफ करके नेचुरल चारे में तब्दील कर देता है.
प्रोबायोटिक का इस्तेमाल करने से पानी गंदा हरने की बजाय फिर से साफ और अच्छा हो जाता है.
इसका एक फायदा यह भी है कि यह दोबारा तालाब में फाइटो प्लैंक्टन और जू प्लैंक्टन बना देता है. जिसे खाकर मछलियां तेजी से ग्रोथ करती हैं.
इसके इस्तेमाल से तालाब में लगातार ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता चला जाता है. वहीं इससे मछलियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर हो जाती है.
मछलियां बारिश के मौसम में होने वाली तमाम बीमारियों से जल्दी उभर पाती हैं. इससे मछली पालन में फायदा बढ़ जाता है.
अगर चूना डालने के 3 दिन बाद हर महीने प्रोबायोटिक इस्तेमाल करें तो बरसात जैसे खराब मौसम में तालाब का संतुलन बना रहता है.
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