नई दिल्ली. साल 2020-21 से भारत सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के तहत प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना लागू की गई है. इसके तहत अलग-अलग राज्यों में जलकृषि विकास को प्रोत्साहित किया जा रहा है. भारत सरकार की ओर से पूर्व में चलाई जा रही नीली क्रांति योजना को भी इस योजना में शामिल कर लिया गया है. योजना के तहत दी जाने वाली अनुदान राशि 60 फीसदी तक है. यानि आपको सिर्फ और सिर्फ 40 फीसदी ही खर्च करना होगा. जबकि 60 प्रतिशत तक खर्च सरकार आपको देगी. सरकार की मंशा है कि मछली पालन के जरिए किसानों की इनकम को बढ़ाया जाए ताकि किसानों की आमदनी दुगनी हो जाए.
किसानों की इनकम को बढ़ाने के मकसद से केंद्र सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. जिसके जरिए किसानों की आर्थिक स्थिति सुधर रही है. मछली पालन में किसान भी आगे आ रहे हैं और सरकार की योजना का फायदा उठाकर मुनाफा कमा रहे हैं. अगर आप भी मछली पालन करना चाहते हैं तो सरकार की स्कीम का फायदा उठाकर इस काम को कर सकते हैं. यहां हम दो तरह की मछली पालन की योजनाओं के बारे में आपको जानकारी देने जा रहे हैं. जिससे आपको फायदा होगा. आइए आइए जानते हैं, क्या है योजना.
निजी जमीन पर तालाब निर्माण के लिए मदद
सरकार की ओर से मछली पालन के लिए निजी जमीन पर तालाब निर्माण के लिए आर्थिक मदद की जा रही है. अगर आपके पास भी निजी जमीन है और आप उसपर तालाब का निर्माण करके मछली पालन करना चाहते हैं तो सरकार से आर्थिक मदद मिल जाएगी. इसके लिए आपको सरकार की ओर सब्सिडी मिलेगी. तालाब में पानी की व्यवस्था निर्माण और फीड डालने के लिए 7 लाख रुपए तक खर्च आएगा. इस पर सरकार की ओर से सामान्य वर्ग के लोगों को 40 फीसदी यानी 2 लाख 80 हजार रुपए और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, सभी महिला व सहकारी समितियों को 60 फीसदी यानी 4 लाख 20 हजार रुपए का अनुदान दिया जाएगा.
पहले साल होने वाले खर्च पर मिलेगी सब्सिडी
मछली किसानों को नए तालाब निर्माण के लिए तालाब में मछली पालन के लिए कई चीजों की जरूरत पड़ती है. इसमें खर्च ज्यादा होता है. पहले वर्ष में मछली उत्पादन करने के लिए फिश फीड आदि खरीदने पर 4 लाख रुपये तक की लागत आती है. सरकार की ओर से सामान्य वर्ग के लोगों को 40 फीसदी अनुदान यादि 1 लाख 60 हजार रुपए दिया जाएगा. जबकि अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति व महिला वर्ग के लोगों को 60 फीसदी यानी 2 लाख 40 हजार रुपए की सब्सिडी दी जाएगी.
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