नई दिल्ली. अप्रैल में ही मौसम ने अपना सख्त रुख दिखाना शुरू कर दिया है. इस भीषण गर्मी ने लोगों का हाल बेहाल करके रख दिया है. ऐसे में से वदन झुलसा देने वाली गर्मी पशु-पक्षियों के लिए भी मुसीबत साबित हो रही है. लगातार बढ़ रही गर्मी ने मछली पालकों के माथे पर चिंता की लकीरें पैदा कर दी हैं. मछली विशेषज्ञों की मानें तो तेज गर्मी और धूप में तालाब का पानी जल्द ही सूख जाता है. तापमान बढ़ने से तालाब का पानी बहुत गर्म हो जा ने से ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. इस कारण मछलियां मरने भी लगती हैं. ये तेज धूप और ऑक्सीजन की कमी का असर सबसे ज्यादा छींगा मछली पर पड़ने लगता है.
बढ़ते तापमान ने पूरे जनजीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है. सुबह नौ बजे से ही ऐसी भीषण गर्मी पड़ने लगती है कि लोग घर के बाहर निकलने तक में कतराते हैं. ऐसे में उन मछलियों का क्या होता होगा जो 42-45 डिग्री तापमान में खुले आसमान के नीचे गर्म पानी में रहती हैं. तेज धूप पड़ने की वजह से तालाब का पानी गर्म होने लगता है. गर्म पानी की वजह से ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. इस कारण मछलियां मरने भी लगती हैं. ये तेज धूप और ऑक्सीजन की कमी का असर सबसे ज्यादा छींगा मछली पर पड़ने लगता है.
चूने का करें छिड़काव
मछली विशेषज्ञ लल्लन कुमार सिंह कहते हैं कि जब तापमान बढ़ने लगे तो तालाब की देखरेख ज्यादा करनी चाहिए. तालाब का पानी हमेशा बदलते रहें. पानी का लेवल पांच फीट से लेकर साढ़े पांच फीट तक हमेशा रखना चाहिए, जिससे सूरज की तपिश नीचे तक न पहुंच सके और मछलियां आराम से रह सकें. अगर तालाब के पानी का रंग हरा होने लगा तो चारे की मात्रा कम कर दें. साथ ही तालाब में चूने का छिड़काव कर दें. चूने को सूखा ही न डालें बल्कि 24 घंटे पहले उसे भिगो लें फिर उसे तालाब में डालें। चूने के छिड़काव से तालाब में ऑक्सीजन का लेवल ठीक बना रहता है.
दूसरे तालाब में कर दें मछलियों को शिफ्ट
मध्य प्रदेश के भिंड में मछली पालन कर रहे शकील कुरैशी बताते हैं कि गर्मी में तापमान बढ़ने से मछलियों में कई तरह की बीमारी भी आने लगती है. मछली में लाल चकत्ते दिखने लगते है. ऐसे में पोटेशियत परमैग्नेट यानी लाल दवा का तालाब में छिड़काव कर दें. इससे तालाब में आक्सीजन की मात्रा ठीक बनी रहेगी. इससे मछलियों के मरने की भी आशंका कम रहती है. इसके साथ ही बढ़ती गर्मी के मौसम में सघन यानी घने तरीके से मछली पालन न करें. अगर तालाब में मछलियां ज्यादा हो गई हैं तो उसमें कुछ मछलियों को दूसरे तालाब में शिफ्ट कर दें. गर्मी के मौसम में मछलियों को सूखा खाना तो बिल्कुल भी न दें. उन्होंने बताया बताया कि एक लीटर पानी में 100 ग्राम गुड़ घोलकर डाल दें, दो से तीन ग्राम विटामिन सी घोलकर डाल दें. ध्यान रहे जिस पानी का हम इस्तेमाल कर रहे हैं वो मीठा और फ्रेश होना चाहिए.
ऐसे कर सकते हैं मछली पालन की शुरूआत
उन्होंने बताया कि मछली पालने के लिए बहुत ज्यादा तामझाम की जरूरत नहीं है. इसकी शुरूआत हम 0.2 हेक्टेयर के तालाब में भी कर सकते हैं. इतने से शुरू करेंगे तो हमें इनकम हो सकती है और इतने से कम करेंगे तो ठीक से इनकम नहीं कर सकते हैं. 0.2 हेक्टेयर का तालाब बनाने में करीब 70-80 हजार रुपये का खर्चा आता है. मछली पालन करने के लिए सबसे ज्यादा भारतीय मेजर कार्प में रोहू, कतला, मृगल (नैन) और विदेशी मेजर कार्प में सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प तथा कामन कार्प मुख्य है. अगर आप मछली पालन करना चाहता है तो बीज के लिए जनपद के मत्स्य पालक विाकस अभिकरण से संपर्क किया जा सकता है.
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