नई दिल्ली. तालाब में मछली पालन करके अच्छी खासी कमाई की जा सकती है. अगर आप भी इस तरह करें मछली पालन कमाई करना चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए हो सकती है. क्योंकि एक एकड़ तालाब में मछली पालन करके आपको 5 से 6 लाख रुपए तक की कमाई हो सकती है. ग्रामीण इलाकों में किसान अगर कृषि के साथ-साथ मछली पालन करें तो उनकी आय दोगुनी हो सकती है. ऐसे में सरकार भी किसानों को प्रोत्साहित कर रही है कि वह मछली पालन करके अपनी इनकम को डबल कर लें. जिसके लिए सरकार सब्सिडी आदि की व्यवस्था भी करती है. हालांकि मछली पालन से जुड़ी कुछ बातों को जानना आपके लिए बेहद है तभी इसमें फायदा होगा.
आप की जानकारी के लिए बता दें कि वैसे तालाब जो काफी छोटे हों 10 से 25 डेसिमल के होते हैं, उसमें पानी ज्यादा दिनों तक नहीं रहता है. उसमें बड़ी मछली का उत्पादन नहीं हो सकता है, लेकिन जीरा मछली जिसे मछली बीज भी कहा जाता है. उत्पादन किया जा सकता है तो इससे भी आपको आमदनी हो सकती है. किसान 25 डेसिमल के तालाब में एक बार यानी 15 से 20 दिनों में पांच हजार रुपये 16 दिन में कमा सकते हैं. जबकि 1 साल में तीन से चार बार फसल तैयार करके 15 से 20 हजार रुपये तक कमा सकते हैं. आमतौर पर मछली बीच की काफी कमी होती है. बहुत सारे तालाब बीज की कमी के कारण मछली पालन के उपयोग में नहीं आ पाते हैं.
कितना बीज डालना चाहिए
अगर आप भी मछली बीज का उत्पादन करना चाहते हैं तो स्पॉन छोड़ने के सात दिन पहले गोबर जो कच्चा या सड़ा हुआ हो 200 किलोग्राम एक एकड़ में डाल सकते हैं. 7 दिन पहले आप इस तालाब में चूना 100 किलोग्राम डाल सकते हैं. स्पॉन छोड़ने के 1 दिन पहले डीजल या साबुन का घोल 20 लीटर प्रति एकड़ डाला जा सकता है, जिससे उत्पादन में आसानी मिलती है. स्पॉन छोड़ने के समय सुबह या शाम में किसी एक प्रजाति की मछलियां या मिश्रित भी ले सकते हैं, जिनकी संख्या 10 लाख प्रति एकड़ होनी चाहिए.
सुबह और शाम में निकाले स्पॉन
स्पॉन छोड़ने के 1 दिन बाद पूरक आहार जरूर डालें. इसमें सरसों की खली और चावल की भूसी पीसकर बराबर अनुपात में डाल सकते हैं. इसे 6 किलोग्राम प्रति एकड़ आधा सुबह और आधा शाम में डाला जा सकता है. स्पॉन छोड़ने के 6 दिन बाद 12 किलोग्राम प्रति एकड़ आधा सुबह और आधा शाम में एक बार फिर से सरसों की खली और चावल की भूसी पीसकर बराबर अनुपात में डालना चाहिए. वहीं स्पॉन छोड़ने के 11 दिन से 15 दिन तक 18 किलोग्राम प्रति एकड़ सुबह-शाम तीसरी बार सरसों की खली और चावल की भूसी पीसकर डालना होता है. जबकि 16वें दिन से जीरा निकाल कर बेचना शुरू करें. इसे सुबह और शाम में निकालना ज्यादा फायदेमंद होता है.
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