नई दिल्ली. रानीखेत रोग बीमारी मुर्गियों में होती है. यह देसी मुर्गियों का एक प्रमुख रोग है. जिससे सबसे ज्यादा नुकसान मुर्गी पालक को होता है. यह एक वायरस से होने वाली बीमारी है, जिसका इलाज संभव नहीं है. इसलिए बीमारी लगने से पहले वैक्सीनेशन ही इससे बचाव का एकमात्र तरीका है. बीमारी के वायरस अक्सर गंदे पानी व दाने तथा बीमार व स्वस्थ्य मुर्गियों के एक दूसरे के संपर्क में आने से फैलता है. इस कारण यह बेहद जरूरी है कि मुर्गियों में रानीखेत का वैक्सीनेशन नियमित रूप से किया जाए.
रानीखेत बीमारी के मुख्य लक्षणों की बात की जाए तो इसमें सभी मुर्गियों के बीमार होने पर 90 प्रतिशत से ज्यादा मुर्गियों में मृत्युदर दिखाई देती है. मुर्गियां सुस्त रहती हैं और खाना-पीना बंद कर देती हैं. सिर में सूजन व मुंह से लार गिरती है. आधा मुंह खोलकर लम्बी-लम्बी सांस लेती हैं. मुर्गियों का ऊंघना, हरा, पीला दस्त होना, लकवा मारना-पंख लटक जाना, पांव का अकड़ जाना और गर्दन टेढ़ी होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.
रानीखेत बीमारी फैलने पर क्या करें
अक्सर खुले में पाली जाने वाली मुर्गियों में ये बीमारी दिखाई देती है. क्योंकि पेड़ और छत पर रहने के कारण मुर्गी पालक अपनी सभी मुर्गियों का टीकाकरण नहीं करा पाते हैं. वहीं आदिवासियों में जागरूकता की कमी होने के कारण भी टीकाकरण के समय सभी घरों की मुर्गियों का टीकाकरण नहीं हो पाता है. यह बीमारी ऐसी है कि जिसके फैलने की सूचना तुरंत ही पशुपालन विभाग को देना चाहिए. देसी मुर्गियों में रानीखेत बीमारी का नियंत्रण करना बेहद ही मुश्किल काम है. प्लानिंग और वैज्ञानिक तरीके से यह काम बहुत आसानी से किया जा सकता है.
हैल्दी मुर्गियों और चूजों को लगाएं वैक्सीन
अक्सर सफेद दस्त, कोराइजा बीमारी से मृत्यु को भी ग्रामीण मुर्गी पालक रानीखेत बीमारी बता देते हैं. स्वस्थ्य दिखती मुर्गियों में तुरंत टीकाकरण करना चाहिए. बड़ी मुर्गियों में आर 2 बी टीका लगाना चाहिए. चूजों एवं छोटी मुर्गियों में एफ 1 टीका लगाना चाहिए. सभी बीमार मुर्गियों को अलग रखने की सलाह देना चाहिए. ऐसे मुर्गियों को टैट्रासाइक्लीन पाउडर पानी में मिलाकर पिलाया जा सकता है. टीकाकरण के दौरान सभी मुर्गी पालकों को नियमित टीकाकरण (आर 2 बी टीका) साल में तीन बार करने की सलाह देना चाहिए. झुमरी रोग को रानीखेत नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि यह बीमारी हमारे देश मे उत्तराखंड प्रदेश के रानीखेत नाम की जगह पर पहली बार देखी गयी थी.
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