Home मछली पालन Fish Farming: इस महीने में ये सभी काम जरूर कर लें मछली पालक, पढ़ें इसके फायदे
मछली पालन

Fish Farming: इस महीने में ये सभी काम जरूर कर लें मछली पालक, पढ़ें इसके फायदे

1.2 million fisher households nationwide bringing in real-time validation.
प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. पशु एवं मध्य संसाधन विभाग (मत्स्य प्रभाग) (Department of Animal and Middle Resources) (Fisheries Division) के मुताबिक मछली बीज उत्पादकों को सितंबर माह के पहले हफ्ते में के बाद स्पान उत्पादन का काम बंद कर देना चाहिए. पंगेसियस मछली के पालन करने वाले किसानों को पूरक आहार प्रबंध के क्रम में मछली के कुल औसत वजन के हिसाब से 15 माह की पालन अवधि में 6, 5, 4, 3, 2 और 1.5 तक पूरक आहार देना चाहिए. पालन अवधि में मछली के औसत वजन के हिसाब से प्रथम दो माह 32 फीसद प्रोटीन वाला आहार अगले दो माह 28 फीसद प्रोटीन युक्त आहार देना चाहिए.

वहीं पांचवे महीन में 25 फीसद प्रोटीन वाला आहार और इसके बाद 20 फीसद प्रोटीन युक्त आहार प्राथमिकता के आधार पर प्रयोग करें. वातावरण का तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से कम और 36 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होने पर पूरक आहार का प्रयोग आधा कर देना चाहिए.

क्या काम करना है
तालाब का पानी ज्यादा हरा हो जाने पर रासायनिक उर्वरक और चूना का प्रयोग एक माह तक बाद कर देना चाहिए.

इसके बाद यदि हरापन नियंत्रित नहीं हो रहा है तो दोपहर के समय 900 ग्राम कापर सल्फेट या 250 लीटर पानी में एंट्रीजन (50 फीसद) प्रति एकड़ की दर से 100 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.

तालाब में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर ऑक्सीजन बढ़ाने वाली टैबलेट 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से करें.

15 दिनों के अंतराल पे बरसात के मौसम में सूखा छिड़काव करें या सुबह एवं शाम को चार-चार घंटे एरेटर या फिर एअर ब्लोअर चलायें.

नर्सरी तालाब में ज्यादा रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं करें. नर्सरी तालाब में पानी हल्का हरा होने पे 20 किलो ग्राम फीटकरी प्रति एकड़ की दर से 100 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.

मछली की जल्द बढ़‌वार के लिए फीडसप्लीमेंट के रूप में प्रति किलोग्राम पूरक आहार में 10 ग्राम सूक्ष्म खनिज तत्व (Mineral Mixture), 2-5 ग्राम गट प्रोबायोटिक्स को वनस्पति तेल या बाजार में उपलब्ध कोई भी बाईंडर 30 एम0एल/किलो ग्राम भोजन में मिलाकर प्रतिदिन खिलाना चाहिए.

मछली को संक्रमण से बचाने के लिए प्रति 15 दिन पर पी०एच० मान के अनुसार 10-15 किलो ग्राम प्रति एकड़ की दर से चूना घोलकर छिड़काव करें.

वहीं माह में एक बार प्रति एकड़ की दर से 400 ग्राम पोटाशियम परमेग्नेट को पानी में घोलकर छिड़काव करें.

मछली को पारासाईटिक संक्रमण से बचाने हेतु फसल चक्र में दो बार (दो माह पर) 40 किलो ग्राम प्रति एकड़ की दर से नमक को पानी में घोलकर छिड़काव करें.

वहीं महीने में एक सप्ताह प्रति किलो ग्राम पूरक आहार में 10 ग्राम नमक मिलाकर मछलियों को खिलाएं.

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Livestock Animal News

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