नई दिल्ली. भारत में जहां एक ओर खाने वाली मछली का कारोबार दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है तो वहीं भारत में घरों में रंग बिरंगी मछलियों को पालने का चलन भी पुराना है. पहले इसे बहुत कम लोग पालते थे लेकिन अब लोग अपनी घरों की खूबसूरती बढ़ाने के लिए अर्नामेंटल फिश यानी रंग बिरंगी मछलियों को पालते हैं और दिन-ब-दिन इसका भी बाजार बढ़ता जा रहा है. सजावट के लिए मछलियों को पाला जाता है. एक आंकड़े की मानें तो या इंडस्ट्री पूरी दुनिया भर में तकरीबन 10 अरब डॉलर से ज्यादा की है और हर साल 10 फीसदी की दर से बढ़ रही है. हालांकि भारत में मछली के व्यापार में इसका हिस्सा एक प्रतिशत है.
गौरतलब है कि सरकार छोटे लेवल पर बैकयार्ड ऑर्नामेंटल मछली पालन यूनिट लगाने के लिए तकरीबन तीन लाख रुपए तक की आर्थिक मदद देती है. मध्यम आकर के आर्नामेंटल मछली वाले यूनिट पर 8 लाख और समकालित आर्नामेंटल मछली पालन केंद्र और यूनिट लगाने को 25 लाख रुपए तक की सब्सिडी सरकार की ओर से दी जाती है. वहीं प्रजनन यूनिट्स के लिए 50 फीसदी सब्सिडी दी जाती है.
यहां किसान ने रेयरिंग यूनिट लगाई है
सरकार चाहती है कि जिस तरह से मछली पालन का काम बढ़ रहा है उसी तरीके से आर्नामेंटल फिशरीज में भी इजाफा हो. क्योंकि ये एक बड़ा कारोबार है और इससे किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं. इसलिए सरकार की ओर से अर्नामेंटल फिश फार्मिंग के लिए सब्सिडी आदि देने का प्रावधान किया जाता है. इसी क्रम में उत्तराखंड में ग्राम दिनेशपुर में दीपक राय एवं ग्राम चरनपुर में सुरजीत सिंह द्वारा माह मार्च, 2025 में प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना अंतर्गत निर्मित बैकयार्ड आर्नामेंटल फिश रेयरिंग यूनिट को लगाया गया था.
जापानी मछली मंगाई गई
दीपक राय द्वारा प्रशिक्षण के बाद मदुरई, तमिलनाडु से लाई हुई निम्न मत्स्य प्रजातियों की ब्रीडिंग कराई जा रही है. वहीं कुछ मछली पलको द्वारा विदेश से भी कुछ प्रजातियां (जापानी कोई मछली) मंगाई गई है. मछली पालको द्वारा रंगीन मछली की बिक्री हेतु बरेली के थोक विक्रेता से वार्ता की गई है और लाभार्थी अरुण मेहता द्वारा निर्मित ओरनामेंटल फिश रेयरिंग यूनिट में उत्पन्न हो रही रंगीन मछलियों का विक्रय दिनेशपुर बाजार में स्थित उनकी एक्वेरियम शॉप द्वारा भी किया जा रहा है.
Leave a comment