नई दिल्ली. मछली पालन में स्पॉन का बहुत अहम रोल होता है. इसी से मछली पालन की शुरुआत होती है. स्पॉन का मतलब मछली के अंडे और स्पर्म को पानी में छोड़ना या जमा करना होता है. एक्सपर्ट का कहना है कि मछली के अंडों को कृत्रिम रूप से फर्टीलाइज्ड कराकर उसमें से बच्चा निकाला जाता है. इस बच्चे की शुरुआती अवस्था को ही स्पॉन कहा जाता है. इसे नर्सरी में अलग से रखा जाता है और उसकी देखभाल की जाती ताकि आने वाले 7 से 10 दिन के अंदर ये फ़्राई साइज तक बढ़ जाए. हालांकि बढ़ने के लिए बहुत ज़्यादा देखभाल की ज़रूरत होती है.
एक्सपर्ट का कहना है कि स्पॉन को फ्राई साइज तक बढ़ाने के लिए भोजन की व्यवस्था बहुत अहम होती है. फ्राई 10-15 सेमी आकार यानी उंगली के बराबर आकार का होने पर इसे फिंगरलिंग कहा जाता है. फ्राई को फिंगरलिंग साइज तक बढ़ने में लगभग 30-60 दिन लग जाते हैं. वहीं टेबल फिश उत्पादन के लिए तालाबों में फिंगरलिंग को स्टॉक किया जाता है. एक्सपर्ट का कहना है स्पॉन के जरिए ही मछली का कारोबार शुरू किया जाता है. इसलिए हर मछली पालक को स्पान खरीदेते समय कुछ बातों का ख्याल जरूर रखना चाहिए.
स्पॉन खरीदते समय ध्यान देने वाली बातें
स्पॉन खरीदने से दो दिन पहले ये पता कर लें कि हैचरी में उपयोग में लाई जाने वाली मछलियों की उम्र 3-5 साल की हो.
एक मादा मछली को एक साल में 2 बार से अधिक प्रजनन नहीं कराया गया हो.
कार्प की तमाम मछलियों की ब्रीडिंग अलग-अलग कराई गई हो.
स्पॉन खरीदने के लिए स्पॉन को एक कटोरे में लेकर उसे 5-7 मिनट तक देखें कि सारे स्पॉन गतिशील है या नहीं.
स्पॉन में कोई बीमारी के धब्बे है या नहीं, अगर ऐसा है तो उस स्पॉन को खरीदें.
परिवहन में इन बातों का दें ध्यान
कार्प के स्पॉन का परिवहन हाई डेन्सिटी पॉलिथीन बैग (HDPE) जिसमें एक तिहाई पानी तथा दो तिहाई ऑक्सीजन भर कर किया जाना चाहिए.
आमतौर पर नर्सरी में कार्प के स्पॉन की रियरींग एक साथ ही किया जाता है. जिसकी उतरजीविता दर नर्सरी तालाब के प्रबंधन पर निर्भर करता है.
आमतौर पर मिट्टी के तालाब में स्पॉन 30 से 50 लाख प्रति हेक्टेयर के दर से संचयन किया जाता है. यह स्पॉन 20-25 दिनों में फ्राई आकार की हो जाती है.
मिट्टी के तालाब में सर्वाइवल 40-50 प्रतिशत है. सर्वाइवल को उत्तम प्रबंधन के साथ बढ़ाया जा सकता है.
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