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Fisheries: मोबाइल शॉप से आपके पास पहुंचेगी जिंदा-ताजा मछली, जानिए क्या है इस दुकान की खूबी

fish mobile shop
सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, लुधियाना द्वारा बनाई गई मोबाइल शॉप

नई दिल्ली. अगर आप मछली खाने के शौकीन है तो ये खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है. आपके पास तक ताजा और जिंदा मछली को पहुंचाने के लिए सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, लुधियाना ने ऐसा वाहन बनाया है जिसे देखकर आप हैरान रह जाएंगे.ये ई-वाहन आपको ताजा और जिंदा मछली की सप्लाई करेगा. सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजीसंस्थान ने जीवित मछली के परिवहन (ढुलाई) के लिए एक प्रणाली विकसित की है जिससे किसानों को अपनी उपज जीवित स्थिति में बेचने और अधिक आय अर्जित करने में मदद मिलेगी.इसे तकनीक को संस्थान ने ‘जीवित मत्स्य वाहक प्रणाली’ का नाम दिया है.

इस तरह से बनाया वाहन
केवल चार लेड एसिड बैटरी (शीशा अम्लीय बैटरी) से निर्मित डीसी पावर द्वारा चलती है जो पूरी तरह से पॉल्यूशन फ्री है. एक बार चार्ज करने के बाद यह 500 किलोग्राम की कुल वहन क्षमता के साथ लगभग 80 किमी चल सकता है. इस प्रणाली में परिवहन के दौरान मछली को जीवित रखने के लिए वातन (वायु संचारण), निस्पंदन (छानने की क्रिया) और अमोनिया हटाने सहित सभी सुविधाएं हैं. 40 किमी की प्रत्येक यात्रा के दौरान मछली की मृत्यु दर 1% से भी कम है. यह वाहन मीठे और खारे पानी की मछलियों दोनों के लिए उपयोगी है. वर्तमान में इस प्रणाली की वाहन क्षमता प्रति यात्रा 100 किलोग्राम जीवित मछली है, हालाकि वाहन की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है.

इस तरह से कर सकते हैं प्रयोग
जीवित मत्स्य वाहक प्रणाली का उपयोग ताल मत्स्य-पालन से खुदरा बाजार तक जीवित मछली परिवहन, जलीय कृषि (मत्स्य-पालन) के लिए जीवित मछली के बच्चों के परिवहन, प्रजनन उद्देश्यों के लिए जीवित ब्रूड फिश परिवहन, व्यावसायिक प्रयोजन के लिए सजावटी मछली परिवहन, अनुसंधान प्रयोजन और संरक्षण उद्देश्यों के लिए के लिए जीवित मछली परिवहन के रूप में किया जा सकता है. इस प्रणाली का उपयोग मछली के खुदरा विक्रेताओं द्वारा मोबाइल शॉप (चलता-फिरता दुकान) के रूप में भी किया जा सकता है.

तकनीक को अंतरराष्ट्रीय कोष ने भी स्वीकारा
ICAR-CIFET, लुधियाना ने इस तकनीक को एग्रीनोवेट इंडिया लिमिटेड, नई दिल्ली के माध्यम से ई-मैजिक इलेक्ट्रिक, जालंधर को लाइसेंस दिया है. भारतीय पेटेंट कार्यालय में एलएफसीएस के लिए एक पेटेंट आवेदन भी दायर किया गया है. कृषि विकास इस तकनीक को अंतरराष्ट्रीय कोष द्वारा भी स्वीकार किया गया है. पूरी प्रणाली सहित वर्तमान में वाहन की लागत लगभग 2.0 लाख रुपए है. पेबैक की अवधि केवल 0.21 वर्ष (2.5 महीने) है, जबकि रियायती पेबैक अवधि 0.3 वर्ष (3.59 महीने) है, एलएफसीएस की वापसी की आंतरिक दर 354.5% है जो अत्यधिक लाभदायक उद्यम है.

इस वाहन से सुविधाएं और लाभ
.एलएफसीएस में स्वचालित वातन, निस्पंदन और वाष्पीकरणीय शीतलन प्रणाली है जो अच्छी गुणवत्ता वाले पानी और कम मछली मृत्यु दर (1% से कम) की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करती है.
.पारंपरिक प्रणालियों की तुलना में इस प्रणाली में पानी की आवश्यकता 50% से कम होती है.
.एलएफसीएस में केवल एक श्रमिक की आवश्यकता होती है, जबकि परंपरागत प्रणाली में 4-5 श्रमिक होते हैं. इस प्रकार श्रम की लागत कम हो जाती है.
.यह उपभोक्ताओं को ताज़ी एवं गुणवत्ता वाली मछली की आपूर्ति सुनिश्चित करता है.
.यह सीमांत किसानों/उद्यमियों के लिए कम लागत की एक शून्य प्रदूषणकारी प्रणाली है.
.यह प्रणाली महिलाओं के अनुकूल है और एक या दो महिलाओं द्वारा संचालित की जा सकती है.

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