नई दिल्ली. अगर आप मछली पालक हैं तो बढ़ते पाले में सावधान हो जाएं. अगर थोड़ी भी लापरवाही कर दी तो आपकी मछलियां मर सकती हैं, जिससे लाखों रुपये का नुकसान हो सकता है. इसलिए लगातार बदल रहे मौसम के मिजाज को देखते हुए अपने तालाब का आक्सीजन लेबल बढ़ा देना चाहिए, जिससे पर्याप्त मात्रा में उन्हें आक्सीजन की आपूर्ति हो और आपको आर्थिक नुकसान न उठाना पड़े. बता दें कि सर्दी के मौसम में बढ़ता पाला मछलियों के लिए बेहद खतरनाक होता है. जैसे ही आक्सीजन की कमी होने लगती है मछलियां मरने लगती हैं.
देश में मछली पालन लगातार बढ़ता जा रहा है. मछली पालक भारत की मंडियों में तो अपने माल को ले ही जाते हैं विदेशों में भी बड़ी मात्रा में एक्सपोर्ट करते हैं. मछली को पूरे साल पाला जा सकता है लेकिन उनके सर्दी का मौसम खासकर जब पाला पड़ता है बेहद खतरनाक होता है. जैसे ही पाले की वजह से तालाबों में आक्सीजन की कमी होने लगती है वैसे ही मछलियां मरने लगती हैं. इसलिए फिश एक्सपर्ट तालाबों में आक्सीजन लेबल बढ़ाने की सलाह देते हैं.
ऐसे हो जाती है आक्सीजन की कमी
मध्य प्रदेश के भिंड में मछली पालक शकील कुरैशी बताते हैं कि जब सर्दी में सूरज नहीं निलकता तो पानी में आक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. सूर्य की रोशनी की वजह से ही तालाबों के पानी में ऑक्सीजन घुलती है, जिस कारण मछलियां अपने गलफड़ों के माध्यम से तालाब के पानी में घुली ऑक्सीजन से सांस लेती हैं. जब ज्यादा ठंड और पाला पड़ता है तो ऑक्सीजन की कमी होने लगती है. जब आक्सीजन की कमी होगी तो मछलियों में कई तरह की बीमारियां फैलने लगती हैं. इसलिए बेहद जरूरी है कि मछली पालकों को इस बारे में जानकारी हो और नुकसान होने से पहले ही सावधानी बरतते हुए अपने तालाबों पर इंतजाम कर लें.
आक्सीजन की कमी से हो जाते हैं ये रोग
डॉक्टर मनोज जैन बताते हैं कि तालाबों में आक्सीजन की कमी की वजह से मछलियों में कई तरह की बीमारी पैदा हो जाती हैं. मछली में अल्सरेटिव सिंड्रोम वायरस रोग फैलने लगता है. जिसके परिणामस्वरूप मछली के शरीर पर लाल चकत्ते पड़ने लगते हैं. पंख के किनारे सड़ने लगते हैं. इससे मछलियां मर तक जाती हैं. मछलियों का विकास तक रुक जाता है.
बीमारी से बचाव को अपनाएं ये तरीके
डॉक्टर मनोज जैन की मानें तो मछलियों को इस परेशानी से बचाने के लिए कई तरह के उपाय करने चाहिए. मछली पालकों को अपने तालाबों में पांच क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से चूना और एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से एक्वा हेल्थ डालनी चाहिए. पाले की वजह से तालाब के पानी में ऑक्सीजन की ज्यादा कमी होने पर तालाब में ऑक्सीटैब और ऑक्सीरिच डालें, जिससे पानी में शुद्धता एवं ऑक्सीजन जरूरी मात्रा में उपलब्ध रहे. इसके अलावा बीमार मछलियों को पानी में जमा करके कम से कम 500 ग्राम पोटैशियम परमैंगनेट का घोल डालने से भी यह समस्या ठीक हो सकती है.
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