Home पशुपालन Animal Husbandry: सर्दियों के समय पशुओं में बढ़ जाता है इन बीमारियों का खतरा, कैसे करें हिफाजत
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Animal Husbandry: सर्दियों के समय पशुओं में बढ़ जाता है इन बीमारियों का खतरा, कैसे करें हिफाजत

दुधारू पशुओं के बयाने के संकेत में सामान्यतया गर्भनाल या जेर का निष्कासन ब्याने के तीन से 8 घंटे बाद हो जाता है.
गाय-भैंस की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. इन दिनों देशभर में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. कई स्थानों पर तो पारा न्यूनतम तक पहुंच गया है. ऐसे में इंसानों के साथ-साथ पालतू जानवरों को भी परेशानी होना लाजमी है. इसलिए जानवरों को खास देखभाल की जरूरत होती है. मौसम में हो रहे बदलाव की वजह से किसानों को किसी प्रकार का नुकसान ना हो, इसके लिए आईएमडी की तरफ से सलाह भी जारी की जाती है. हालिया जारी किए गई सलाह में कहा गया है कि गायों को इस वक्त लंपी स्किन रोग हो सकता है. गायों में बीमारी होने पर उन्हें बहुत तेज बुखार आता है.

ये फैलने वाली बीमारी होती है
साथ ही चमड़ी पर सिक्के के आकार के चकत्ते उभर जाते हैं. इस रोग के कारण गाय उदास रहती हैं और खाना पीना कम कर देती हैं. या खाना छोड़ देती हैं. इसके साथ ही संक्रमित पशु के मुंह में से लार आता है और आंख कान से पानी गिरता है. इसके अलावा दूध उत्पादन में भी कमी आ जाती है. यह फैलने वाली बीमारी होती है. इस बीमारी से पशुओं को बचाव के लिए पशु को संक्रमित पशुओं से अलग रखें.

कैसे बीमारी के बारे में पता करें
संक्रमित पशु को क्वॉरेंटाइन कर दें. इसके अलावा जिस जगह पर संक्रमित पशु को रखा गया था उसे जगह को ब्लीज, फिनायल या आयोडीन का इस्तेमाल करके अच्छी तरह से साफ कर दें. साथ ही पशु में जिस तरह के लक्षण दिखाई दे रहे हैं. उसके अनुसार इलाज किया जाना चाहिए. बड़े हुए तापमान को नियंत्रित करने के लिए एनाल्जेसिक या एंटीबायोटिक देना चाहिए फिर संक्रमण का पता करने के लिए इम्युनोबूस्टरए एंटीऑक्सीडेंट प्लस विटामिन ए और इ की दवा दें.

खुरपका और मुंहपका के लिए क्या करें
यदि जानवरों में खुरपका और मुंहपका रोग का प्रकोप हो तो प्रभावित जानवरों को पहले भी सभी जानवरों से अलग करें. ताकि बीमारी के प्रसार को रोका जा सके. इसके साथ ही प्रभावित प्रश्नों को बोरोग्लिसरीन मरहम से उपचार करें. इस मरहम को मुंह के घाव के अलावा पैर के घावों पर लगाया जा सकता है. इसके अलावा पोटेशियम मैग्नेट की घोल से घाव को धोएं. इसके साथ ही एसिडोसिस की रोकथाम लिए अनाज का सेवन का काम करें. इसके अलावा शेड और बालों में उचित जल की निकासी की व्यवस्था करुें.

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