नई दिल्ली. पशुपालन के व्यवसाय में एक तरफ जहां पुशुपालकों को अच्छी आमदनी मिल जाती है, वहीं उनके बाड़ें में अगर कोई बीमारी पहुंच जाए तो पशुपालकों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. बीमारियों की रोकथाम के लिए कई तरह के वैक्सीनेशन यानि तक सरकार द्वारा उपलब्ध कराए जाते हैं. वहीं सरकार समय-समय पर बीमारियों से जागरूक करने के लिए अभियान भी चलाती है. कुछ बीमारियां ऐसी हैं जो पशुओं में हो जाती है तो कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. ऐसी एक बीमारी है जो मादा पशुओं में हो जाती है तो गर्भवती पशु को परेशानी होती है. आईये बात करते हैं मादा पशुओं में ब्रुसेलोसिस रोग के बारे में. इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बता रहे हैं कि यह बीमारी क्या है इसके लक्षण क्या हैं और इस रोग के बचाव क्या हो सकते हैं.
आमतौर पर पशुओं में मुंहपका, खुरपका, जैसी बीमारियां देखने को मिलती हैं, लेकिन इन दिनों बिहार सरकार ने पशुपालकों को जागरूक किया है कि वह अपने मादा पशुओं को लेकर सचेत रहें. उनके स्वास्थ्य की समय-समय पर जांच कराएं. मादा पशुओं में गर्भ से ब्रुसेलोसिस बीमारी देखने को मिल रही है.
गर्भावस्था से होती है ये बीमारी: ब्रुसेलोसिस बीमारी गर्भावस्था के तीन माह में होती है. इस कारण मादा पशु का गर्भपात हो जाता है. इस बीमारी से समय से पहले बच्चे का पैदा होना होता है. गर्भकाल पूरा होने पर बच्चा पैदा होता है. कुछ पशुओं से समय पर पैदा होने वाले बच्चों की लगभग एक सप्ताह के भीतर की मृत्यु हो जाती है. इस बीमारी में गर्भाशय में सूजन आ जाती है. पशु के दूध के उत्पादन की क्षमता है वह कम हो जाती है.
इन पशुओं में पाया जाता है ब्रुसेलोसिस रोग: जैसा कि नाम है ब्रुसेलोसिस रोग, यह रोग गाय, भैंस, बकरी, भेड़ में पाया जाता है. इस रोग के जीवाणु मादा पशु के गर्भाशय एवं नर पशु के अंडाशय में रहते हैं और अन्य पशुओं को भी संक्रमित कर सकते हैं. यह रोग पशुओं से मनुष्य को भी संक्रमित कर सकता है. यह एक जीवाणु जनित संक्रामक रोग है.
ये है ब्रुसेलोसिस रोग के लक्षण: आईये बात करते हैं इस बीमारी के लक्षणों की. ब्रुसेलोसिस रोग मादा पशुओं में होने वाली संक्रमित बीमारी है. इस बीमारी से नर पशुओं के अंडकोषों में सूजन आ जाती है. पशुओं के प्रजनन क्षमता में कमी आ जाती है. अगर घोड़े की बात की जाए तो घोड़े की गर्दन पर जख्म दिखाई देने लगते हैं, जो इस बीमारी की प्रमुख लक्षण है. इस बीमारी को रोकने के लिए समय-समय पर अपने पशुओं की पशु चिकित्सकों से देखभाल कराएं और टीकाकरण कराएं. इसके संक्रमण को रोकने के लिए अपने बाड़े को साफ रखें, सुरक्षित रखें. पशुओं को बाड़ें में उनके बर्तनों को साफ रखें. इन कुछ तरीकों को आजमा कर इस बीमारी सेबचा जा सकता है.
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