नई दिल्ली. भारत में बड़े पैमाने पर बकरी पालन किया जा रहा है. बकरी पालन से लोग जुड़कर लाखों में कमा रहे हैं. बहुत से ऐसे पशु पालक और किसान हैं जिन्होंने बड़ी संख्या में बकरी पालन करके कमाई करोड़ों में भी कर ली है. बकरी पालन लघु और सीमांत किसानों के लिए एक आर्थिक कमाई का अच्छा संसाधन बनकर उभरा है. इसे अब वे व्यवसाय के रूप में भी रहे हैं. इसे गरीब, किसानों का एटीम भी कहते हैं. अगर ठीक से बकरी पालन कर लिया जाए तो कम लागत में अच्छा मुनाफा दे सकता है. हां, अगर जानकारी नहीं हैं तो ये व्यवसाय आपको नुकसान भी दे सकता है. इसलिए फार्म शुरू करने से पहले जितनी हो सके बकरियों के बारे में जानकारी ले जी जाए. अगर बकरी पालन की जानकारी लेकर उन्हें अपने फार्म पर लागू कर दिया तो बकरी पालन में नुकसान के चांस कम होते हैं. वैसे तो देश में बकरी की 37 नस्ल होती हैं लेकिन लोगों को वही नस्ल पालनी चाहिए, जो उनके क्षेत्र की जलवायु और वातावरण को झेल सके. यूपी-राजस्थान में ज्यादातर बरबरी, सिरोही, जमुनापारी, तोतापरी, जखराना और बीटल नस्ल की बकरियों को ही ज्यादातर पाला जाता है.
देश की अर्थव्यवस्था में पशुधन बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है. खासतौर पर अगर हम ग्रामीण परिवेश की बात करें तो पशुपालन के जरिए से प्राप्त होने वाली अतिरिक्त आय किसान, पशुपालकों को आत्मनिर्भर बनाती है. सरकार भी बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनए सचालित कर रही है.यही वजह है कि परंपरागत खेती-किसानी को छोड़कर बहुत से लोगों ने नए तौर-तरीके अपनाकरबकरी पालन कर रहे हैं, जो दूसरे के लोगों के लिए प्रेरणादायत साबित हो रहे हैं. इसलिए इस व्यवसाय को शुरू करें लेकिन पहले चीजों की जानकारी जरूर कर लें.
प्रशिक्षण लेना और सही नस्ल की बकरी का चयन करना बेहद जरूरी
वृंदावन स्थित स्टार साइंटफिक गोट फार्मिंग के संचालक बताते हैं कि बकरी पालन करके किसान या कोई और भी अपनी आय को कई गुना तक बढ़ा सकता है लेकिन शर्त यही है कि उसे वैज्ञानित तरीके से बकरी पालन करना होगा. अगर आप बकरी पालन कर रहे हैं तो सबसे पहले जरूरी है कि नस्ल का ठीक से चयन करें. स्टाल फीडिंग के लिए बरबरी से अच्छी कोई नस्ल नहीं हो सकती और हां अगर आपके पास ग्रासिंग के लिए जगह है तो सिरोही बकरी पालें. उन्होंने कहा कि किसान बकरी फार्म शुरू करने से पहले प्रशिक्षण ले ले तो इससे अच्छा और कुछ नहीं हो सकता. बकरी पालन की जानकारी होने पर नुकसान की आशंका न के बराबर रह जाती है. इसके अलावा बकरी पालन में सही समय पर बच्चे लेने हैं तो उन्हें सही समय पर गर्भित कना होगा, जिससे किसानों को कम समय में ज्यादा लाभ होगा.
स्टाल फीड में सबसे ज्यादा अच्छी है बरबरी बकरी
बरबरी नस्ल की बकरा-बकरी उत्तर प्रदेश के आगरा-अलीगढ़ मंडल में सबसे ज्यादा डिमांड रहती है. इन बकरों की नस्ल का वजन 25-50 किलो वजन तक हो जाता है. 25 किलो से लेकर 50 किलो तक का बकरा सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. वैसे तो इस नस्ल की बकरी दिन में 750 ग्राम से एक लीटर तक दूध दे देती है और अगर बकरी अच्छी है तो दो लीटर तक दूध दे सकती है.
जखराना बकरी दूध-मांस दोनों के लिए पाली जाती है
जखराना नस्ल की बकरी-बकरा राजस्थान में अलवर जिले के जखराना गांव में मिलते हैं. इस नस्ल के बकरे बहुत ज्यादा नहीं मिलते. जखराना बकरे का वजन 50 से 55 किलो तक हो जाता है. बकरी 45 किलो वजन तक की होती है. ये बकरी दो से तीन लीटर तक दूध दे सकती है.
हर वातावरण में खुद को ढाल लेती है तोतापरी
तोतापरी नस्ल की बकरी राजस्थान में पाई जाती है. इस नस्ल के जानवर को दूध और मांस दोनों के लिए पाला जाता है. एक बकरे का वजन करीब 40 से 70 किलो के बीच में होता है, तोतापुरी खुद को किसी भी वातावरण और जलवायु के साथ आसानी से अपना सकती है.
ये बकरी दो से तीन लीटर तक दूध दे सकती है.
सिरोही बकरी की भी रहती है खूब डिमांड
सिरोही बकरी की नस्ल राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश राज्यों में पाई जाती है. इस नस्ल के बकरे सबसे ज्यादा और हर जगह आसानी से मिल जाते हैं. इसलिए इस बकरे की डिमांड भी खूब होती है. इस नस्ल की बकरियां आकार में मध्यम होती हैं. इनके शरीर का रंग लाल और काले-सफेद धब्बे होते हैं. ये बकरी दो से तीन लीटर तक दूध दे सकती है.
दूध देने में बीटल का कोई मुकाबला नहीं
बीटल बकरी को पंजाब की नस्ल मानते हैं. ये दूध देने में बहुत अच्छी होती है. पाकिस्तान में इसे दूध और मांस दोनों के लिए प्रयोग में लाया जाता है. कुछ लोग इसे लाहौरी बकरी के नाम से भी पुकारते हैं. ये दिन में 3 से पांच लीटर दूध दे सकती है. ये जमुनापारी और मालाबरी बकरी के समान ही दिखती है. ये बकरी दिनभर में दो किलो तक चारा खा जाती है.
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