नई दिल्ली. परंपरागत खेती-किसानी को छोड़कर बहुत से लोगों ने नए तौर-तरीके अपनाकर ऐसी कामयाबी के झंडे गाड़ दिए हैं, जो दूसरे के लोगों के लिए प्रेरणादायत साबित हो रहे हैं. यही वजह है कि आज बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्होंने लीक से हटकर कुछ ऐसा किया कि आज वे करोड़पति बन गए हैं. हम बात कर रहे हैं राजस्थान में करौली जिले के दौलतपुरा ग्राम पंचायत के करोड़पति बकरी पालक रामकेश मीणा की, दो दशक पहले 30 हजार रुपये से नौ बकरी खरीदकर शुरू किया ये सफर रामकेश को करोड़पति बना गया. वे कहते हैं कि अगर मन लगाकर मेहनत करोगे तो सफलता मिलती है. रही बात बकरी पालन की तो इससे ज्यादा प्रोफिट तो किसी दूसरे व्यवसाय में है ही नहीं.
भारत में बड़े पैमाने पर बकरी पालन किया जा रहा है. बकरी पालन से लोग जुड़कर लाखों में कमा रहे हैं. बहुत से ऐसे किसान हैं, जिनके शेड में सैकड़ो की संख्या में बकरे-बकरी हैं और उनकी कमाई करोड़ों में भी होती है. बकरी पालन खास तौर पर लघु और सीमांत किसानों के लिए एक बेहतरीन व्यवसाय का जरिया बनकर उभरा है. क्योंकि बकरी पालन को कम लागत में भी किया जा सकता है. इस वजह से ग्रामीण अंचलों में खास तौर पर लघु और सीमांत किसान कम लागत में 5 से 10 बकरी बकरों को पालकर अपनी आमदनी का एक और जरिया बना रहे हैं. इसमें भी बकरी की कुछ नस्ल ऐसी हैं, जिन्हें पालकर मोटी कमाई कर सकते हैं. इसी का जीता जागता उदाहरण करौली का रामकेश मीणा भी है, जो इन बकरियों से ही प्रति वर्ष छह से सात लाख रुपये कमा लेते हैं, जो किसी सरकारी नौकरीपेशा से ज्यादा है. उन्होंने बकरी पालन से जुड़े कई किस्से भी बताए.
लगातार बढ़ रही हैं बकरियां
रामकेश बताते हैं कि हमारे पास खेती थी लेकिन इतनी कमाई नहीं हो पाती थी, तो अजीविका को चलाने के लिए 20 साल पहले 30 हजार रुपये की नौ बकरी खरीद लीं. बकरियों को अच्छी तरह से पाला तो एक साल ही में 36 बच्चे दे दिए. इसके बाद तो हर साल चार गुना बकरियां बढ़ती चली गईं. आज भी 180 बककियां हैं. जबकि प्रत्येक वर्ष छह से सात लाख की बकरे और बकरियां बेच लेता हूं.
बकरियों से ही बना ली एक करोड़ की प्रॉपर्टी
रामकेश मीणा बताते हैं कि इस के व्यवसाय में बहुत बरकत है. 9 बकरियों से शुरू किया काम आज 180 बकरी तक पहुंच गया जबकि सैकड़ों बकरी-बकरे मैंने बेच दिए. हर साल 60-70 बकरा-बकरी को बेच देता हूं, जिनसे छह-सात लाख रुपये मिल जाते हैं. इन बकरियों की बदौलत ही दौलतपुरा ग्राम पंचायत में करीब 50 लाख का मकान तो सपोटरा में 30 लाख रुपये का मकान बनवाया. दौलतपुर का मकान तो ऐसा बनाया है जो आसपाी की दो-तीन ग्राम पंचायतों में देखने तक को नहीं मिलेगा. इसके अलावा कुछ जमीन भी खरीदी है.
बकरियों पर देना पड़ेगा ध्यान
रामकेश बताते हैं कि मैं इन बकरियों पर बहुत ध्यान देता हूं. हमारा इलाका डांग है तो ज्यादातर चराने ही ले जाते हैं. मगर, जब तक बकरी का पेट नहीं भरेगा, बकरी तंदरुस्त नहीं हो सकती. बकरी का चलना बहुत जरूरी है. हम तो अपने घर से 20-30 किलोमीटर तक बकरी चराने चले जाते हैं. दो-दो, तीन-तीन महीनों तक घर से बाहर रहते हैं. किसान अपने खेतों में हमारी बकरी को रात में रुकने के लिए कहते हैं, फिर वही किसान हमारे खाने-पीने का इंतजाम करते हैं. बकरी की मेंगनी की खाद सभी खादों से ज्यादा अच्छा होती है.
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