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Goat Farming: बकरी की प्रेग्नेंसी में कैसे करें देखरेख, जानें क्या करना चाहिए

कीड़े बकरे के पेट में हो जाएं तो उसकी ग्रोथ रुकना तय है.
प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. पशुओं का ख्याल तो हमेशा रखना चाहिए. पशु चाहे जिस भी अवस्था में है, उसकी देखरेख करना बेहद ही जरूरी है, नहीं तो फिर पशुओं से बेहतर उत्पादन नहीं लिया जा सकता है. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के एक्सपर्ट का कहना है कि बेहतर उत्पादन के लिए नवजात बच्चे से लेकर जब जानवर उत्पादन करने योग्य हो जाए, तब तक उसका ख्याल रखते ही रहना है. ताकि उत्पादन में कमी न आए और पशुपालन में नुकसान का सामना न करना पड़े. अगर देखरेख में लापरवाही की गई तो फिर नुकसान होना तय है.

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के एक्सपर्ट ने लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज से साझा करते हुए बताया कि गर्भवस्था में सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है.

गर्भावस्था क्या करें
गर्भावस्था के आखिरी डेढ़ माह पशुओं को उच्च पोषण आहार पर रखना चाहिये तथा उन्हें खनिज व विटामिन मिश्रण पर्याप्त मात्रा में जरूरत के मुताबिक देते रहना फायदेमंद हैं.

गर्भावस्था में ऊर्जा, प्रोटीन, विटामिन व खनिज की आवश्यकता बढ़ जाने के कारण इन पोषक तत्वों की कमी होने की सम्भावना बनी रहती है जिसका सीधा सम्बन्ध बकरियों में अधिक मृत्युदर व बच्चों की उत्तरजीविता से है.

बैक्टरिया व वायरस से होने वाले रोगों के खिलाफ प्रत्येक बकरी को टीका लगवाना तय करना चाहिए. खासतौर पर बच्चों में टिटनेस के बचाव के लिए, गर्मित बकरी को टिटनेस के टीके दिये जाने चाहिए.

गर्भवती बकरियों में यदि टीका नहीं लगाया गया हो तो गर्भावस्था के अन्तिम माह में टीकाकरण किया जा सकता है ताकि मां के साथ-साथ बच्चे में भी खीस द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सके.

गर्भावस्था के अन्तिम एक या दो सप्ताह में सभी शरीर के अंदर के कीड़ों के खिलाफ कृमिनाशक का इस्तेमाल करना चाहिए.

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