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Scheme: जानें कैसे डॉक्टर और पत्रकार बने बकरी पालक, पढ़ें ये डिटेल

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बरबरी बकरी की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार है. यही वजह है कि राष्ट्रीय पशुधन योजना के जरिए मध्य प्रदेश सरकार पशुपालन को आसान, सहज और बेहतर बनाने की दिशा में लगातार काम करी रही है. यदि आप मुर्गी, बकरी पालन या फिर चारा संबंधित कोई व्यवसाय खड़ा करना चाहते हैं तो सरकार आपकी मदद करेगी. जिससे आप अपने लिए इनकम का जरिया बना लेंगे. दरअसल राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत नया उद्योग लगाने पर सब्सिडी सरकार की ओर से दी जा रही है. राष्ट्रीय पशुधन योजना से जुड़कर आप अपना काम शुरू कर सकते हैं और अच्छी इनकम हासिल कर सकते हैं.

मध्य प्रदेश में इस मिशन से जुड़कर कई लोगों ने बेहतरीन काम किया है. इस योजना से जुड़कर न सिर्फ एक पत्रकार ने अपने लिए आय का जरिया बनाया बल्कि दूसरों को रोजगार भी दिया है. जबकि एक डॉक्टर फैमिली ने भी इस मिशन से जुड़कर बकरी पालन को बड़े पैमाने पर किया और आज लाखों रुपए कमा रहे हैं.

डॉक्टर दंपत्ति ने कायम की मिसाल
राष्ट्रीय पशु धन योजना से जुड़कर डॉ. यासमीन अली और डॉ. अकबर अली ने मिसाल कायम कर दी है. डॉ. यास्मीन अली ने बताया कि वह अपनी मेडिकल फील्ड के अलावा बहुत दिनों से फार्मिंग के क्षेत्र में भी काम कर रही हैं. इसलिए इस काम में सफलता हासिल करने के लिए ट्रेनिंग भी ली है. जिससे काम करने में आसानी मिली. उन्होंने बताया कि वह बकरी पालन करती हैं. ट्रेनिंग लेने का यह फायदा हुआ कि बकरियां में मृत्यु दर कम हो गई और जब उन्हें बाजार में बेचा गया तो काफी अच्छा दाम मिला. इसलिए इस काम में और ज्यादा इंटरेस्ट आया. डॉ. अकबर अली ने बताया कि यह एक अच्छा प्रोजेक्ट है. बकरी पालन के काम में काफी स्कोप है. इसको देखते हुए हमने इसे बड़े रूप में करने का फैसला किया. इसलिए 500 बकरियों का प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया गया लेकिन सवाल यह था कि इतनी सारी बकरियां को घर के अंदर जाकर कैसे पालेंगे. तभी सेंट्रल के गवर्नमेंट का नेशनल लाइव स्टॉक मिशन के बारे में पता चला. उन्होंने बताया कि ये बेहतर योजना है. इससे काफी फायदा मिला और इसी योजना का फायदा उठाकर इतना बड़ा प्रोजेक्ट हाथ में लिया और इस काम में सफलता हासिल की.

पत्रकारिता छोड़कर शुरू किया बकरी पालन
इसी तरीके से नरसिंहपुर जिले के किसान हिमांशु विश्वकर्मा ने बकरी पालन में भी सफलता की. उन्होंने बताया कि ग्रेजुएशन पत्रकारिता से करने के बाद नौकरी भी की लेकिन नौकरी करने से अच्छा यह लगा कि मैं अपना खुद का बिजनेस शुरू कर दूं. इसलिए बकरी पालन के विषय में जानना शुरू किया और 2017 में फॉर्म की शुरुआत की. इसमें स्थानीय पशु चिकित्सक ने मदद मिली. 300 से ज्यादा बकरियों को अपने फार्म में पाल रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे पास चार नस्लों की बकरियां हैं. बराबरी, सोजात, सिरोही और गुजरी. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में कृषकों और बेरोजगार युवकों के लिए ये बेहतरीन काम है. इसमें हाथ आजमाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस काम के लिए ट्रेनिंग ली और उसके बाद इस काम को शुरू किया. अब लोगों को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं.

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