नई दिल्ली. गाय, भैंस हो या फिर बकरी बकरा सभी को साल के 12 महीना हरे चारे की जरूरत होती है. क्योंकि हरा चारा खाने से दूध उत्पादन भी बढ़ता है. आमतौर पर बारिश के मौसम में तो हरा चारा आसानी से मुहैया हो जाता है लेकिन सर्दियों के बाद जब गर्मी आती है तो हरा चारा मिलना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में दूध बढ़ाने वाला पौष्टिक हरा चारा बकरी बकरियों के लिए हमेशा ही जरूरी होता है. बकरियों को भी दाने और सूखे चारे के साथ हरा चारा चाहिए होता है. ऐसे में गर्मी के वक्त में इसकी कमी को पूरा करने के लिए सहजन मोरिंगा एक ऐसा चारा है जो इसे पूरा कर सकता है.
5 साल से चल रहा है रिसर्च
केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान मथुरा के मुताबिक बीते 5 साल से इस पर रिसर्च किया जा रहा है. साइंटिस्ट का कहना है कि बेशक मोरिंगा का एक पेड़ होता है. कुछ जरूरी बातों पर अगर ध्यान दिया जाए तो इसकी पत्तियों व इसके तने को भी चारे के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. तने को प्लैट्स में तब्दील कर 12 महीने से बकरी और बकरियों को खिलाया जा सकता है. मोरिंगा यानी सहजन में बड़ी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है. इसके साथ ही दूसरे जरूरी मिनरल्स और विटामिन भी इसके अंदर होते हैं. जबकि दूसरे हरे चारे के मुकाबले प्रोटीन विटामिन और मिनरल्स से मामले में यह बहुत ही ज्यादा पौष्टिक माना जाता है.
कब लगाना चाहिए मोरिंगा
संस्थान के सीनियर साइंटिस्ट डॉक्टर मोहम्मद आरिफ का कहना है कि मोरिंगा लगाने के लिए गर्मी और बरसात का मौसम बिल्कुल सही है. जैसे बारिश का मौसम जून माह से शुरू होता है और तभी इसको लगा देना चाहिए. इसमें इस बात का ख्याल रखना बहुत ही जरूरी है कि इसे पेड़ नहीं बनने देना है. इसके लिए जरूरी है कि 30 से 45 सेंटीमीटर की दूरी पर इसकी बुवाई की जाए. इसकी पहली कटाई 90 दिन यानी 3 महीने के अंदर ही करनी चाहिए. इतने दिनों में इसकी लंबाई 8 से 9 फीट तक हो जाती है.
कब-कब की जाए कटाई
90 दिनों के बाद कटाई करने के बाद एक बार फिर 60 दिन बाद इसकी कटाई करनी है. काटते वक्त इस बात का ख्याल रखना है की कटाई जमीन से एक डेढ़ फीट की ऊंचाई से की जाए. ताकि नई शाखाएं फिर से आ जाएं. डॉक्टर आरिफ का कहना है कि मोरिंगा के तने को बकरी खाती है. इसके तने के अलग-अलग प्लैट्स बना सकते हैं. प्लैट्स बनाने के बाद साल भर तक बकरी बकरियों के लिए हरे चारे के इंतजाम किया जा सकता है.
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