नई दिल्ली. बकरी को अक्सर किसी भी वजह से चोट लग जाती है. कभी चराई करते वक्त या उसके कूदने—फांदने की वजह से भी ऐसा हो सकता है. ऐसे में ये समस्या गंभीर रूप न ले तो फौरन ही प्राथमिक उपचार यानि फर्स्ट एड देना चाहिए. ऐसा करने से समस्या को गंभीर रूप में जाने से रोका जा सकता है. जबकि इसके बाद पशु चिकित्सक से इलाज करवाके बकरी को जल्दी स्वस्थ किया जा सकता है. वहीं बकरियों को कई बार जलने की वजह से फफोले भी निकल आते हैं. इस स्थिति में भी तुरंत ही फर्स्ट एड देना चाहिए.
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के एक्सपर्ट ने लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (Livestock Animal News) को बताया कि इन दोनों ही बीमारियों में फर्स्ट एड जरूरी है. आइए जानते हैं कि कैसे क्या करना है.
घाव होना या चोट लगने पर कैसे करें इलाज
आमतौर पर चोट लगने या दुर्घटना ग्रस्त होने पर शरीर पर घाव हो जाते हैं. जख्म दो प्रकार के हो सकते हैं. एक जिनमें चमड़ी फटी न हो व दूसरी जिसमें चमड़ी फट गई हो.
जब चमड़ी फटी हुई नहीं रहती तो आमतौर पर चोट लगने पर उस जगह सूजन आ जाती है या फिर उसके नीचे खून का जमाव हो जाता है.
दोनों ही हालात में बर्फ या ठंडे पानी से चोट की जगह सिकाई करने पर फोड़ा नहीं बन पाता. जब चोट पुरानी हो जाती हैं तो गर्म पानी से सिकाई करना लाभदायक होता हैं.
खुली हुई चोट यदि साधारण हो तो उसे साफ करके कोई भी एन्टीसेप्टिक क्रीम लगाना चाहिए. यदि खून बह रहा हो तो टिंचर बैन्जोइन लगाना फायदेमंद हैं.
किसी भी घाव को बिना इलाज के छोड़ना खतरनाक हो सकता है। इसलिये साफ कर उसका साधारण इलाज करना चाहिये.
यदि घाव बड़ा हो, खून रिस रहा हो या पीव आ रहा हो तो चिकित्सक से अवश्य सलाह लेनी चाहिये.
जलने व फफोले पड़ने पर क्या करें
सबसे पहले आग बुझाकर जले हुए भाग पर ठंडा पानी डालना चाहिए. ठंडे पानी से जलन कम हो जाती हैं.
बाद में जैतून का तेल व नारियल के तेल का लेप लगाना चाहिए. जले हुए भाग पर चूने का पानी एवं अलसी का तेल बराबर भाग में मिलाकर लगाना चाहिए.
ये बेहद ही फायदेमंद है. घावों को रगड़ने से बचाना चाहिए एवं अविलम्ब पशुचिकित्सक को खबर देनी चाहिए.
Leave a comment