Home पशुपालन Goat Farming: पशुपालक की इस गलती से बकरी के थन में हो जाती है गांठ, जानें क्या है इसका इलाज
पशुपालन

Goat Farming: पशुपालक की इस गलती से बकरी के थन में हो जाती है गांठ, जानें क्या है इसका इलाज

तोतापरी की बकरी के पालन में बहुत ही कम लागत आती है. तोतापुरी या तोतापरी बकरी कम लागत में पालकर मोटी कमाई की जा सकती है.
प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली. बकरी पालन के दौरान भी कई बार बकरियों को बीमारियां घेर लेती हैं. कुछ बीमारी तो ऐसी है जो बकरी पालक की लापरवाही की वजह से ही होती है. उन्हीं बीमारियां में से एक बीमारी है बकरी के थन में होने वाली गांठ. जिसे थनैला बीमारी भी कहा जाता है. इस बीमारी के हो जाने से सबसे बड़ा नुकसान यह है कि कई बार थन का उत्तक नष्ट हो जाता है. अगर ऐसा न भी हो तो दूध उत्पादन कम हो जाता है. धन सूखकर कर सख्त और लाल हो जाता है.

ऐसे में यह समझना बेहद ही जरूरी है कि बकरी में यह बीमारी क्यों होती है और इससे कैसे बचाव किया जा सकता है. बिहार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग (Department of Animal and Fishery Resources) की ओर से लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (Livestock Animal News) को इस बारे में अहम जानकारी दी गई है. जिसे हम आपके साथ साझा कर रहे हैं, तो आइए इस बारे में डिटेल से जानते हैं.

क्या करना है, जानें यहां
एक्सपर्ट का कहना है कि कई बकरी पालक बकरी के गाभिन होने के बाद दूध निकलना बंद कर देते हैं. जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए.

एक्सपर्ट के मुताबिक बकरी जब गर्भ से हो जाए तब भी उसका दूध निकालते रहना चाहिए, आप खुद भी दूध निकाल सकते हैं.

या फिर बकरी को पकड़ कर दूसरे बकरी के बच्चों से फीडिंग भी करवा सकते हैं. इससे भी बकरी के थन से दूध निकल जाएगा.

वहीं कुछ ही दिनों के बाद बकरी का दूध प्राकृतिक रूप से कम हो जाता है और फिर ऐसा करने की जरूरत नहीं होती है.

एक्सपर्ट का कहना है कि जब थन के अंदर दूध रहता है तो इसके चलते बकरी को गांठ जैसी समस्या हो जाती है, जिसे हम थनैला भी कहते हैं.

निष्कर्ष
मान लीजिए कि अपने दूध सही से नहीं निकला तो फिर थैनैला हो जाएगा. थन छोटा बड़ा हो जाता है और कई बार ब्लड आने की समस्या भी हो जाती है. इसलिए इस बारे में जागरूक रहने की जरूरत है, ताकि दिक्कतें न आएं.

Written by
Livestock Animal News

लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज (livestockanimalnews.com) एक डिजिटल न्यूज प्लेटफार्म है. नवंबर 2023 से ये लगातार काम कर रहा है. इस प्लेटफार्म पर एनिमल हसबेंडरी () यानि मुर्गी पालन, डेयरी (), गाय-भैंस, भेड़-बकरी, घोड़ा, गधा, मछली और पशुपालन, चारा, पशु चिकित्सा शि‍क्षा से जुड़ी खबरें पढ़ने को मिलती हैं. ऐग और चिकन के रोजाना बाजार भाव भी इस प्लेटफार्म पर प्रकाशि‍त किए जाते हैं. नेशनल मीडिया जैसे न्यूज18 हिंदी, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर में काम कर चुके पत्रकार (रिर्पोटर) की टीम लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के लिए खबरें और स्टोरी लिखती है. केन्द्र सरकार के Poultry, Cow, Buffalo, Goat, Sheep, Camel, Horse (Equine), Fisheries, Donkey, Feed-Fodder and Dairy रिसर्च इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट से बात कर उनकी रिसर्च पर आधारित न्यूज-स्टोरी लिखी जाती हैं. इसके साथ ही लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज प्लेटफार्म पर एनिमल साइंस और वेटरनरी कॉलेज-यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और एक्सपर्ट से बात करके खबरें लिखी जाती हैं और उनके लिखे आर्टिकल भी पब्लिूश किए जाते हैं. ये सभी स्टोरी और स्टोरी से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया फेसबुक, यूट्यूब (YouTube), इंस्टाग्राम, एक्स (ट्विटर) और लिंक्डइन पर शेयर किए जाते हैं. पशुपालकों की सक्सेट स्टोरी लिखी जाती हैं. उसी सक्सेस स्टोरी के वीडियो बनाकर उन्हें लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज के यूट्यूब चैनल पर पब्लिैश किया जाता है. अंग्रेजी में भी न्यूज और आर्टिकल पब्लिाश किए जाते हैं. लाइव स्टॉक एनिमल न्यूज पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन और डेयरी से जुड़े विषयों पर होने वाली सेमिनार, वर्कशॉप और एक्सपो को भी कवर करता है. साथ ही एनिमल हसबेंडरी मंत्रालय से जुड़ी खबरें भी कवर करता है. बाजार में आने वाले नए प्रोडक्ट की जानकारी भी इस प्लेटफार्म पर दी जाती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

sonepur pashu mela
पशुपालन

FMD: खुरपका-मुंहपका से पशुओं को कैसे बचाए, यहां पढ़ें कुछ खास उपाय

बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के एक्सपर्ट का कहना...

पशुपालन

IVRI: अब नई तकनीक से पशुओं की होगी सर्जरी, देश-विदेश के पशु चिकित्स सीख रहें हैं बारीकियां

डा. रेखा पाठक ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम जनरल सर्जरी से संबन्धित...

livestock animal news
पशुपालन

Lumpy Skin Disease: क्यों होती है पशुओं को लंपी स्किन डिसीज, क्या हैं इसके लक्षण, जानें यहां

शरीर के अधिकतर भागों में मोटे-मोटे उभरे हुये चकत्ते हो जाते हैं....