नई दिल्ली. बकरी पालन हमेशा से डबल कमाई करने वाला व्यवसाय रहा है. दूध के साथ ही मीट की भी खूब डिमांड रहती है. जबकि कुछ साल में मीट की डिमांड में और ज्यादा इजाफा हुआ है. बकरे के मीट की देश में तो डिमांड है ही इसके साथ-साथ विदेश में भी इसे खूब पसंद किया जाता है. एक्सपर्ट कहते हैं कि बकरी पलक यदि मीट से ज्यादा कमाई करना चाहते हैं तो उन्हें बकरी के चारे पर ध्यान देना चाहिए. यदि उनका चारा अच्छा रहेगा तो उनका मीट भी अच्छा होगा.
देश में होती है खूब खपत
देश में वैसे तो सभी तरह के पशुओं का मीट उत्पादन 37 मिलियन टन है. जबकि सबसे ज्यादा मीट उत्पादन महाराष्ट्र, यूपी, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में होता है. वहीं बकरे का मीट उत्पादन करीब 9 मिलियन टन होता है. बकरी और बकरियों की मीट उत्पादन के मामले में भारत विश्व में आठवें स्थान पर है. एक्सपर्ट कहते हैं कि बकरा और बकरियों के मीट की देश में बहुत ज्यादा खपत है. इसलिए एक्सपोर्ट उतना ज्यादा नहीं हो पाता है. खासतौर बकरीद के मौके पर हाथों हाथ बिक जाते हैं.
बकरों को खिलाया जाता है ये चारा
सीआईआरजी के डायरेक्टर मनीष कुमार चेटाली कहते हैं कि मीट एक्सपोर्ट के दौरान बकरे की मीट की केमिकल जांच होती है. हैदराबाद का एक संस्थान यह जांच करता है. कई बार मीट कंसाइनमेंट वहां से लौट कर आ गए हैं. क्योंकि बकरों को जो चारा खिलाया जाता है, उसमें कहीं ना कहीं पेस्टीसाइड का इस्तेमाल होता है लेकिन अब ऑर्गेनिक चारा बकरों को खिलाया गया.
बढ़ेगी दूध की भी डिमांड
उसके बाद जब बकरों के मीट की जांच हुई तो वह केमिकल नहीं मिले जो शिकायत पहले आई थी. इसलिए हम बकरी पालन की ट्रेनिंग के दौरान जागरुकता कार्यक्रम के तहत पशुपालकों को यह बात समझते हैं कि अपने बकरे और बकरियों को ऑर्गेनिक चारा खिलाएं. जिससे मीट ही नहीं बल्कि बकरी के दूध की डिमांड भी बढ़ जाए और उसके अच्छे दाम मिलें. अभी भी लगातार हमारे संस्थान में इस विषय पर कार्य चल रहा है.
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