नई दिल्ली. आपने कभी कांच खाने वाली बकरी के बारे में सुना है, बेशक नहीं सुना होगा लेकिन राजस्थान केे जैसलमेर की एक बकरी ने ऐसा ही किया आौर कांच खा गई. उसे रसीला चारा पसंद नहीं आया, बल्कि उसने कांच को खूब चाव से खाया. उस दिन तो उसका पेट भर गया लेकिन कुछ दिनों के बाद उसका दिक्कतें शुरू हो गईं. अन्य खाने-पीने वाली चीजों को उसने खाना-पीना छोड़ दिया. जिसके बाद पशुपालक उसे लेकर पशु चिकित्सक के पास पहुंचे, जब जांच हुई और उसके बाद इलाज तो सभी हैरान रह गए.
सभी ये कांच को देखकर हैरान थे कि बकरी को कांच में ऐसा क्या मजा आया कि उसने रसीला चारा छोड़कर कांच ही खाना शुरू कर दिया. आइए इस बारे में यहां जानते हैं. दरअसल, शीशे खाने वाली इस अद्भुत बकरी को जिला जैसलमेर के मल्टीस्पेशिलिटी वेटनरी हॉस्पिटल में उपचार के लिए लाया गया था. ये बकरी बब्बर मगरा निवासी छगन सिंह की है.
कांच के बााद दूसरी चीजें खाना बंद कर दिया
पशुपालक छगन सिंह ने कहा कि उनकी बकरी पिछले कुछ दिनों से कांच के टुकड़े, सेरेमिक मैटल के कप व न खाने वाली चीज खा रही थी. कुछ दिनों तक तो सब सही था लेकिन उसके बाद से इस बकरी ने खाना पीना छोड़ दिया है. जिसके बाद छग बकरी को लेकर वेटरनरी हॉस्पिटल पहुंचे. बकरी की जांच करने के बाद मल्टीस्पेशिलिटी वेटनरी हॉस्पिटल के सीनियर पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. वासुदेव गर्ग ने रूमिनाटोमी ऑपरेशन की सलाह दी. डॉ. गर्ग ने बताया कि बकरी ने चरना और पानी पीना भी बंद कर दिया था और कांच के नुकीले कांच के टुकड़े पेट व आंतो में नुकसान पहुंचा सकते थे. इस वजह से इन्फेक्शन के कारण कभी भी बकरी की जान जा सकती थी.
कांच देखकर हर कोई था हैरान
बकरी को बचाने के लिए ऑपरेशन ही आखिरी तरीका था. पशुपालक से आम सहमति लेने के बाद पशु चिकित्सकों की टीम द्वारा यह 1 घंटे का मुश्किल ऑपरेशन किया गया, जिसमें बकरी के पेट से कांच के टुकड़े, कप के टुकड़े व अन्य न खाने वाली चीजें निकाली गईं. आपरेशन के बाद कांच के टुकड़ों को देखकर हर कोई हैरान था. इस तरह के आपरेशन करने पर स्थानीय पशु चिकित्सकों की सराहना की जा रही है. पशुपालक छगन सिंह ने पशु चिकित्सालय में कार्यरत डॉ वासुदेव गर्ग, डॉ जोगेंद्र सिंह देवड़ा, डॉ हेतु दान, डॉ ममता चंदेल व अन्य स्टाफ की सराहना की व राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त निशुल्क सेवाओं की प्रशंसा की जिससे गरीब पशुपालक की बकरी की जान बच सकी.
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