नई दिल्ली. राजस्थान का जहाज कहलाने वाले ऊंटों का संरक्षण करने के लिए प्रदेश सरकार काम कर रही है. ऊंट पालन को बढ़ावा मिले इसके लिए सरकार आर्थिक मदद भी कर रही है. ऊंट पालकों को इस मद में सरकार 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता मुहैया करा रही है, जिससे ऊंट पालन में किसानों की रुचि बढ़ सके. इसके लिए सरकार ने उष्ट्र संरक्षण योजना को संचालित कर रखा है, जिससे ज्यादा से ज्यादा किसान ऊंट पालकर इस योजना का लाभ ले सकें. बता दें कि भारत सरकार की ओर से संसद में दी गई जानकारी के अनुसार 2012 से 2019 के बीच पूरे भारत में ऊंटों की संख्या करीब डेढ़ लाख घटकर 2.52 लाख रह गई है. ऐसे में सोमवार को ऊष्ट प्रजनन योजना के तहत फतेहगढ़ तहसील के सावता अंचल छोड़ीया गांव में शिविर लगाकर 300 ऊंटनियों टेगिंगकी गई.
राजस्थान का जहाज कहलाने वाले ऊंट इस खुद ही अपने असतित्व को बचाने के लिए संकट का सामना कर रहे हैं. हाल ये है सरकार और पशुपालकों की उदासीनता की वजह से ऊंटों की संख्या में लगातार गिरावट देखी जा रही है. अगर भारत सरकार की ओर से संसद में रखे गए आंकड़ों पर गौर करें तो 2012 से 2019 के बीच पूरे भारत में ऊंटों की संख्या करीब डेढ़ लाख घटकर 2.52 लाख रह गई है. इसमें भी राजस्थान में सबसे अधिक ऊंटों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है, जो बेहद चिंताजनक है. क्योंकि राजस्थान में ही कुल 85 फीसदी ऊंट होते हैं. यही वजह है कि इस ध्यान देते हुउ राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीन साल से बंद पड़ी उष्ट्र संरक्षण योजना की घोषणा की है, जिसके शुरू होने से ऊंटों की संख्या में बढ़ाेत्तरी होने का अनुमान है. इस योजना के लागू होने से जैसलमैर के ऊंट पालक काफी खुश हैं. क्योंकि प्रदेश के अंदर जैसलमैर में ही सबसे अधिक ऊंट हैं.
300 ऊंटनियों की कराई गई टेगिंग
ऊंटों का संरक्षण करने के लिए सोमवार को ऊष्ट प्रजनन योजना के तहत फतेहगढ़ तहसील के सावता अंचल के छोड़ीया गांव में शिविर लगाकर 300 ऊंटनियों टेगिंग की गई. इस बारे में ऊंट पशुपालक व देगराय ऊष्ट संरक्षण अध्यक्ष सुमेर सिंह भाटी ने बताया कि ऊंट संरक्षण में कुछ राहत मिलेगी. ऊंटों की घटती संख्या को देखते हुए इस योजना का लाभ संपूर्ण जैसलमेर में ऊंट पशुपालको को लाभ मिलना चाहिए. इतना ही नहीं ऊंटों के संरक्षण के लिए सरकार की ओर से प्रयास होने चाहिए. पशुपालन विभाग जैसलमेर वह फतेहगढ़ नोडल अधिकारी और डॉक्टर देवेन्द्र और रमेश चोधरी की टीम का आभार प्रकट किया.इस मौके पर ऊंट पशुपालक जगमाल सिंह रासला, तन सिंह सावता, भवरुराम, जोराराम, नरुराम, सुमेर राम, सिमरथा राम अचला, सोहन सिंह, लाला जोगराज सिंह सावंता उपस्थित रहे.
सरकार ऐसे दे रही आर्थिक सहायता
ऊंटों का संरक्षण करने के लिए प्रदेश सरकार काम कर रही है. ऊंट पालन को बढ़ावा मिले इसके लिए सरकार आर्थिक मदद भी कर रही है. ऊंट पालकों को इस मद में सरकार 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता मुहैया करा रही है, जिससे ऊंट पालन में किसानों की रुचि बढ़ सके. इसके लिए सरकार ने उष्ट्र संरक्षण योजना को संचालित कर रखा है, जिससे ज्यादा से ज्यादा किसान ऊंट पालकर इस योजना का लाभ ले सकें. इस योजना के तहत सरकार ने दूसरी किस्त जारी करने के सरकार ने आदेश दे दिए हैं. जल्द ही ऊंट पालकों के खाते में इस रकम को भेज दिया जाएगा.
ऐसे मिलेगा इस योजना का लाभ
ऊंटों का संरक्षण करने के लिए प्रदेश सरकार काम कर रही है. ऊंट पालन को बढ़ावा मिले इसके लिए सरकार आर्थिक मदद भी कर रही है. ऊंट पालकों को इस मद में सरकार दो बार में 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता मुहैया करा रही है. इस योजना के तहत जिन ऊंट पालकों ने एक साल पहले ऊंट के बच्चे और उसकी मां का पशु चिकित्सालय में जाकर टैग करा लिया उसे पांच हजार की पहली किश्त पहले ही जा चुकी है. अब दूसरी के किश्त के लिए ऊंट पालक को मादा ऊंटनी और उसके एक साल के बच्चे को पशु चिकित्सालय में लेजाकर फोटो खिचांकर पोर्टल पर अपलोड करानी होगी. अगर पुराना टैग और नया टैग मैच कर जाता है तो उक्त ऊंट पालक को 5000 की दूसरी किश्त भी जारी कर दी जाएगी.
टोडियो के लिए भी कर सकेंगे आवेदन
ऐसा नहीं है कि दूसरी किश्त वाले ही पैसों के लिए आवेदन करेंगे. पहले बच्चे वाले भी पशु चिकित्सालय में जाकर टोडियो के लिए अप्लाई कर सकेंगे. ऊंट पालकों को ये आवेदन सरकार द्वारा बताए गए पोर्टल पर ही करने होंगे. अगर सभी दस्तावेज सत्यता के बाद सही पाए जाते हैं तो उन्हें भी पहली किश्त जारी कर दी जाएगी.
बीमा का भी मिलेगा लाभ
उष्ट्र संरक्षण योजना के तहत पशुपालन विभाग की ओर से ऊंटनी व उसके बच्चे की टैगिंग की जाएगी. पंजीकृत सभी उष्ट्र वंशीय पशुओं का राजस्थान सरकार के पशुधन विकास बोर्ड द्वारा संचालित भामाशाह पशु बीमा योजना के तहत बीमा कराना भी आवश्यक है. इसके तहत अगर पशु मर जाता है, तो पशुपालक को बीमे की राशि मिल सकेगी, जिससे उसे आर्थिक नुकसान न उठाना पड़े.
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