नई दिल्ली. अंडों से चूजे निकालने के लिये आमतौर पर दो तरीकों का इस्तेमाल होता है. पहला तरीका नेचुरल होता है. इसमें अंडे सेने की पूरी प्रक्रिया कुड़क मुर्गी द्वारा की जाती है. यह तरीका छोटे मुर्गीपालकों के लिये उपयुक्त है. इस तरीके से अंडों से चूजे हासिल करने के लिये उचित कुड़क मुर्गी का सेलेक्शन जरूरी है. इस काम के लिए देशी मुर्गी सबसे बेहतर मानी जाती है. कुड़क मुर्गी अंडे नहीं देती है और अन्य अंडे देने वाली मुर्गियों से अलग रहती है. इसलिए इन्हीं मुर्गियों से अंडे सेने का काम लिया जाता है.
एक्सपर्ट का कहना है अंडे सेने के लिए भी कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. अगर ऐसा न किया जाए तो हो सकता है इसका असर प्रोडक्शन पर पड़े. क्योंकि अंडे सेने का जो सही तरीका है उसे अपनाने से बेहतर प्रोडक्शन हासिल किया जा सकता है. इन तरीकों से चूजे प्राप्त करने के लिये कुछ बातें एक्सपर्ट की ओर से बताई गई हैं, जिसे हर मुर्गीपालक को फॉलो करना चाहिए. आइए इसके बारे में जानते हैं.
एक मुर्गी पर कितने अंडे की जरूरत
एक्सपर्ट का कहना है कि अंडे सेने के लिए इस्तेमाल में ली जाने वाली मुर्गी हेल्दी, अच्छे आकार वाली और अंडों पर बैठने की अच्छी क्षमता वाली होनी चाहिए. अंडे सेने वाली मुर्गियों को अंडे सेने के इस्तेमाल में लाने से पहले अंदर और बाहर परजीवियों के खिलाफ ट्रीटेड कर लेना चाहिये. मुर्गी के शरीर के आकार के मुताबिक एक मुर्गी के नीचे 10-15 अंडे रख सकते हैं. अंडे मध्यम आकार के, अंडाकार और उसका बाहरी खोल मोटा व मजबूत होना चाहिये.
बैठने की जगह अंधेरे में होनी चाहिए
अंडो पर मुर्गी बैठाने की जगह साफ सुथरी एवं एक अंधेरे कोने में होनी चाहिये. जहां मुर्गी को कोई परेशान न कर सके. अंडे सेने की जगह 2 फीट 2 फीट की होनी चाहिये. जिसे बांस की टोकरी, गत्ते का बक्सा या बड़े घड़े को आधा काट कर बनाया जा सकता है. इसके अंदर नीचे थोडी मिट्टी डाल कर उपर सूखी मुलायम घास या पुवाल की बिछावन बिछा देनी चाहिये.
बार-बार अंडों को हिलाना है जरूरी
मुर्गी के अंडे से 21 दिन की अवधी में चूजा निकल जाता है. 21 दिनों तक कुड़क मुर्गी अंडों पर बैठ कर उन्हें सेती है. दिन में दो बार आहार एवं पानी के लिये अंडो से उठती है. इस दौरान समय-समय पर अंडों को हिलाते रहना चाहिये ताकि बढ़ता हुआ भ्रूण अण्डों के खोल से चिपक न जाए.
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