नई दिल्ली. एक्सपर्ट कहते हैं कि मुर्गियों को उनकी फीड के तौर पर 10 से 15 ग्राम अगर अजोला खिलाया जाता है तो इसका फायदा मुर्गियों को मिलता है. एक्सपर्ट का कहना है कि मुर्गियों को अजोला खिलाने से उनका शरीर का वजन तेजी के साथ बढ़ता चला जाता है और अंडा देने की संख्या में भी बढ़ोतरी होती है. यानी अजोला खिलाने से मुर्गियों का वजन बढ़ाया जा सकता है और अंडे का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है. इसलिए अजोला पोल्ट्री कारोबारी के लिए हम फीड है जो वह मुर्गियों को दे सकते हैं.
बाजार में जहां अंडों की मांग गर्मियों में कम हो जाती है तो वहीं चिकन की मांग हमेशा बनी रहती है. इसलिए अजोला की अहमियत और ज्यादा बढ़ जाती है. क्योंकि अजोला खिलाने से मुर्गियों का वजन तेजी से बढ़ता है. जिसका फायदा पोल्ट्री संचालक को मिलता है. अजोला की खेती को लेकर कई तरह सवाल पोल्ट्री संचालकों के मन में रहता कि वह अजोलाा की खेती किस तरह से करें लाइव स्टक एनिमल न्यूज के पिछल आर्टिकल में इसकी जानकारी दी गई है. आज हम यहां अजोला की खेती के लिए उसकी क्यारी की डिजाइन पर बात करने जा रहे हैं.
क्यारियों का डिजाइन कैसा हो
अजोला की खेती लिए 3 फीट चौड़ी 10 फीट क्यारी बनाई जा सकती है. 1 फीट गहरी आकार की कच्ची क्यारियां तैयार करनी चाहिए. उन पर पॉलीथीन शीट को एकसमान इस तरह से फैलाया जाये कि क्यारियों की परिधि के अनुसार यह आयताकार हो और किनारे पूरी तरह से ढक जायें. इन क्यारियों में दस किलो छनी हुई मिट्टी व दो कि.ग्रा. गोबर खाद को मिलाकर प्रति क्यारी बिछा देनी चाहिए. इन क्यारियों में पानी भर देना चाहिए. सीमेंट की टंकी में भी अजोला को उगाया जा सकता है. इस टंकी में प्लास्टिक शीट बिछाने की आवश्यकता नहीं रहती, सिर्फ छाया करने के लिए शेड नेट की जरूरत पड़ती है. आजकल बाजार में 12 लंबाई ×6 चौड़ाई × 1 गहरे फीट की उच्च घनत्व पॉलीथीन अजोला उत्पादन भी उपलब्ध है.
पानी का छिड़काव करना चाहिए
इसके लिए 0.5-1 कि.ग्रा. शुद्ध अजोला कल्चर पानी पर एकसमान फैला देना चाहिए. अजोला बीज फैलाने के तुरंत बाद इसके पौधों को सीधा करने के लिए अजोला पर ताजे पानी का छिड़काव करना चाहिए. एक सप्ताह के अन्दर अजोला पूरी क्यारी में फैल जाता है एवं एक मोटी चादर जैसी बन जाती है. इसकी तेज वृद्धि तथा 200 ग्राम प्रति वर्गमीटर दैनिक पैदावार के लिए 5 दिनों में एक बार लगभग 1 कि.ग्रा. गोबर और 20 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट इसमें मिलाया जाना चाहिए. यह बहुत तेजी से बढ़ता है और 10-15 दिनों के अन्तराल में पूरे गड्ढे को ढक लेता है. इसकी औसतन लागत 1500 से 2000 रुपये के बीच होती है. शुरुआती लागत श्रम के रूप में होती है. इसे पारिवारिक श्रम द्वारा पूरा किया जा सकता है.
उत्पादन के लिए मिट्टी का चयन
पशुपालक अपने आसपास अनुपयोगी पड़ी भूमि में अजोला का उत्पादन कर सकते हैं. मृदा का चयन करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि जहां क्यारियां बनानी हैं, वहां इसके लिए मृदा का स्तर ऊंचा होना चाहिए. बारिश या अन्य किसी प्रकार का गन्दा पानी क्यारियों में नहीं आना चाहिए. इसकी क्यारियां जल स्रोत के आसपास होनी चाहिए. इससे इनमें सरलता से पानी दिया जा सकता है.
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