नई दिल्ली. वैसे तो हर पशुओं को खासतौरपर दुधारु पशुओं के लिए जितना सूखा और दानेदार चारा जरूरी है उतना ही हरा चारा भी उसे चाहिए होता है. ये प्रक्रिया हमेशा चलती है. खासतौर पर ऐसे पशुओं के लिए हरा चारा जरूरी हो जाता है जो फार्म पर रखकर पाले जाते हैं. ऐसा करने पर ही पशु पौष्टिक दूध भी देगा और उसकी ग्रोथ अच्छी होगी. बहुत से पशु को खुले मैदान में चरने का मौका नहीं मिलता तो जाहिर है कि उन्हें हरा चारा पूरे साल मिलना भी मुश्किल है. जब कोई भी फसल कटती है तो उसका चारा बाजार में सिर्फ बहुत ज्यादा देर तक है तो दो महीने तक तो मिलेगा. ऐसे में केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा ने हरा चारा स्टोर करने को लेकर कुछ साइंटीफिक तरीकों पर रिसर्च किया है.
सीआईआरजी के डायरेक्टर मनीष कुमार चेटली का कहना है कि जब बकरे का मीट एक्सपोर्ट होता है तो उससे पहले हैदराबाद की एक लैब में मीट की जांच की जाती है. जांच में ये पता लगाया जाताा है कि मीट में किसी तरह के नुकसानदायक पेस्टीसाइट तो नहीं है. यही नहीं है कि ऐसा सिर्फ और सिर्फ बकरे के मीट के लिए ही हो, बल्कि बीफ के मामले में जांच की जाती है. यदि कभी रिर्पोट पॉजिटिव आ जाती है तो मीट के कंसाइनमेंट को रोक दिया जाता है. इससे कारोबारी को बड़ा नुकसान होता है. यही वजह है कि संस्थान में बकरे और बकरियों के चारे को लेकर खासा काम चल रहा है. कहा कि जब जब चारे की एक फसल कट जाती है तो चारे की दूसरी फसल तैयार होने में थोड़ा समय लगता है. जब खाली वक्त होता है तो पशु को कौन सा हरा चारा दें, ताकि उसकी जरूरत पूरी हो जाए.
ऐसे कर सकते हैं कि हारा चारा स्टोर
पशुओं को हरा चारा देने के संबंध में सीआईआरजी के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. अरविंद कुमार का कहना है कि हरा चारा स्टोर करने के लिए हमेशा पतले तने वाली फसल को चुनना चाहिए. क्योंकि कई बार ज्यादा लंबे वक्त तक सुखाने के चलते भी चारे में फंगस की शिकायत आ जाती है. जिस चारे को स्टोर करना है उसे पकने से कुछ दिन पहले ही काट लिया जाना चाहिए. इसके बाद उसे धूप में सुखाना चाहिए. सुखाते वक्त ध्यान दें कि चारे को सुखाने के लिए कभी भी उसे जमीन पर डालकर न सुखाएं. चारा सुखाने के लिए जमीन से कुछ ऊंचाई पर जाली वगैरह रखकर उसके ऊपर चारे को डाल देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि ये भी ध्यान देना चाहिए कि इसे लटका कर भी न सुखाएं. क्योंकि जमीन पर चारा डालने पर मिट्टी लगने से फंगस आदि की वजह बन सकती है. जब चारे में 15 से 18 फीसद के आसपास नमी रह जाए, यानि चारे का तना टूटने लगे तो उसे सूखी जगह पर रख दें. इस बात का ख्याल रहे कि अगर चारे में नमी आ गई तो फिर फंगस लगने का खतरा रहेगा. इससे चारा खराब हो जाएगा. इतना ही नहीं इस खराब चारे को गलती से भी पशु ने खा लिया उसके बीमार होने का खतरा हो जाएगा जो नुकसान दे है. डॉ. अरविंद कुमार कहते हैं कि बरसीम, ओट और चरी पतले तने वाली चारे की फसल होती है. इन्हें सुखाकर स्टोर बहुत ही आसानी से किया जा सकता है. लेकिन इस बात का भी खास ख्याल रखें कि स्टोर किए जा रहे चारे की मात्रा उतनी ही हो कि चारे की आने वाली नई फसल तक स्टोर किया गया चारा खत्म हो जाए.
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