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देश के इन दो राज्यों की बकरी की चर्चा नींदरलैंड तक, पढ़ें क्या है इसकी वजह

नई दिल्ली. देश के दो राज्यों में पाई जाने वाली नस्लों की बकरियों को सिर्फ देश में ही नहीं ​बल्कि विदेश में पसंद की जाने लगी है. क्योंकि इन दोनों नस्लों की बकरियों की चर्चा नीदरलैंड में भी हो रही है. ऐसा तब हुआ जब भारत के दौरे पर आए नीदरलैंड के एक्स‍पर्ट ने इन खास नस्ल की दो बकरियों को देखा तो देखते ही रह गए. वो दोनों बकरियों से खासा प्रभावित नजर आए. दरअसल, फॉर्म में उनकी नजर पंजाब की बीटल और यूपी की बरबरी नस्ल पर गई तो उन्होंने इसे बारीकी से देखा. इसके बाद ये कहने में देर नहीं किया कि ये बकरियों तो डेयरी गोट्स हैं. हालांकि उन्होंने इनके खानपान, रहन-सहन और सही तरीके से उनका रिकॉर्ड मेंटेन करने का सुझाव दिया.

कई एक्सपर्ट का मानना है कि बीटल नस्ल की बकरी बकरी रोजाना औसत दो से तीन लीटर तक दूध देती है, जिसकी वजह से किसानों की पहली पसंद ये बकरी होती है. जो कई देसी गाय से भी ज्यादा है. जबकि गाय को रोजाना 7 से 8 किलो सूखा चारा चाहिए, जबकि बकरी के लिए दिनभर में 2 किलो ही चारा खाएगी. वहीं बीटल बकरी साल में दो बार बच्चे देती है. एक बार में ये बकरी दो से तीन बच्चों को जन्म देती है. वहीं जबकि गाय इस बकरी की अपेक्षा कहीं भी नहीं ठहरती है. गौरतलब है कि देश में बीटल नस्ल के बकरे और बकरियों की संख्या 12 लाख है. जबकिक ये नस्ल पंजाब में पाई जाती है. हालांकि दूध ज्यादा देने की वजह से अन्य राज्य भी इसे पालते हैं.

देश में केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की एक रिपोर्ट की मानें तो साल 2021 में बकरी के दूध का 62.61 लाख मिट्रिक टन प्रोडक्शन हुआ था लेकिन उत्पादन हुआ था. देश में इस साल दूध का कुल उत्पादन 210 मिलियन मीट्रिक टन हुआ है. जिसमें बकरी का के दूध का उत्पादन का हिस्सा 3 फीसदी था. वहीं कृषि विज्ञान केन्द्र, बरनाला के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. प्राहलाद सिंह कहते हैं कि नीदरलैंड से आए एड मार्क्स ने बीटल और बरबरी बकरी को देखा उसमें दूध की संभावनाएं के बारे में कहा कि इसमें दूध देने की क्षमता ज्यादा है. उन्होंने कहा कि उनके खानपान पर अच्छे से ध्यान दिया जाए, जबकि दाना और पत्तेदार खाने को दिया जाए, इसके साथ ही रहन-सहन पूरी तरह साइंटीफिक हो और बीमार बकरियों को अलग और हैल्दी अलग से पाला जाए तो ये कई लीटर ज्यादा दूध दे देंगी. कहा कि बकरियों के शेड का वातावरण अच्छा करना जरूरी है. इस दौरान मार्क्स को पंजाब में बकरियों के कई फार्म पर ले जाया गया.

डॉ. प्राहलाद सिंह ने कहा कि मार्क्स ने दूध से बने चीज के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी. उन्होंने ऐसा बकरियों के दूध पर चर्चा शुरू होते ही कहा. वहीं बकरियों के दूध की मेडिशनल वैल्यू के बारे में सुझाव देते हुए कहा कि उन्होंने इस फील्ड में महिला कोऑपरेटिव को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. बता दें कि बरबकरी बकी 13 से 14 महीने की उम्र पर बच्चा देने लायक हो जाती है. 15 महीने में दो बार बच्चे देती है. ये बकरी पहली बार बच्चा देने के बाद दूसरी बार 90 फीसद तक दो से तीन बच्चे देती है. वहीं 10 से 15 फीसद तक बरबरी बकरी 3 बच्चे देती है. जबकि बरबरी बकरी 175 से 200 दिन तक दूध देती है. बरबरी बकरी रोजाना औसत एक लीटर तक दूध देती है.
-जैसा सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट एमके सिंह ने बताया.

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