Home पशुपालन Animal Husbandry: कैसे करें पशु के खुर की देखभाल, नहीं करने से क्या होती है परेशानी जानें यहां
पशुपालन

Animal Husbandry: कैसे करें पशु के खुर की देखभाल, नहीं करने से क्या होती है परेशानी जानें यहां

exotic cow breeds in india
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. पशुओं के स्वास्थ्य की देखभाल में खुर का एक खास ध्यान देना चाहिए. मौजूदा वर्तमान परिस्थितियों विशेषकर बड़े डेरी फार्मों में खुरशोथ एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है जिससे अधिक आर्थिक हानि होती है. लंगड़ी रोग से ग्रसित गायें अपना वजन व स्वास्थ्य खोने लगती है. जिसके कारण उनका दूध का उत्पादन कम हो जाता है क्योंकि वो खुर के दर्द के कारण खाने की नांद तक बार-बार नहीं जा पाती है. जहां पर जानवर कम संख्या में रखे जाते हैं और उनको सही भोजन व ठीक से रखरखाव किया जाता है यह बड़ी समस्या नहीं है.

ज्यादातर डेयरी फार्मों में लंगड़ेपन का मुख्य कारण, नाखून की विकृति और उससे उपजी खुरशोथ की बीमारी है. समय से जांच व उपचार करने से क्षति में कमी, जल्दी स्वास्थ्य लाभ व जानवरों की तकलीफ को कम किया जा सकता है.

इस बात का रहता है खतरा
खुर कि रीटी बैंड से प्रति 5 इंच की रफ्तार से बढ़ता है. वर्ष भर में खुर लगभग पूरा ही बदल जाता है. पीछे के पैर का बाहरी नखर अंदर के नखर के मुकाबले अधिक तेजी से बढ़ता है. अन्दर का नखर आगे के पैरों में अधिक तेजी से बढ़ता है. जिस रफ्तार से खुर बढ़ता है और जिस प्रकार से वह घिसता है यह वातावरण पर निर्भर करता है. इतनी अधिक खुर बढ़ोत्तरी के लिये जरुरी है कि उसकी घिसाई भी उसी रफ्तार से हो ताकि खुर का सही आकार बना रह सके. खुर बाहरी दीवार, सफेद लाइन, तलवा और एड़ी से बना होता है. खुर के अंदर लैमिनी जोकि कोरियम का हिस्सा होती है. मछलियों के गलफड़े की तरह दिखाई देती हैं. इनमें ब्ल्ड सेल्स और नर्वस का अधिक विस्तार रहता है जो खुर के दबाब का असर हल्का करने में मदद करता है. खुर के अन्दर की तरफ बाहरी दीवार और तलवे के जोड़ के पास एक सफेद लाइन जैसी रचना दिखाई देती है. जो काफी मुलायम व कमजोर होती है और उसमें पत्थर व कंकड़ फंसने का हमेशा खतरा बना रहता है.

बीमारी के क्या हैं लक्षण
बीमारी के लक्षण की बात की जाए तो खुर में सूजन, खून का बहना व कोरियम की कोशिकायें खराब हो जाती है. इससे तलवे में अल्सर हो जाते हैं जो ज्यादातर एड़ी के पास होते हैं. दूसरी बड़ी समस्या खुर साफ करने में खून सफाई की है जिससे कोरियम का रक्त प्रवाह प्रभावित होता है और कभी-कभी इससे फोड़े बन जाते है. फोड़े सफेद लाइन के पास बनते हैं. खुर की सूजन से खुर में दिक्कतें आ जाती हैं और खुर का अगला हिस्सा लम्बा हो जाता है. सबसे अधिक दिक्कत खुर के अगले भाग की अधिक लम्बाई के रूप में देखने को मिलती है. ज्यादा गंभीर हालत में खुर का अगला भाग ऊपर को घूम जाता है और कभी-कभी एक दूसरे को आर पार कर लेता है. ऐसी दशा में तलवा खुर की दीवार के मुकाबले अधिक बोझ वहन करता है. यदि यह परिस्थिति बनी रहती है तो खुर के अन्दर भारी नुकसान का अंदेशा बना रहता है. ऐसी हालत में खुर के अन्दर बाहरी पदार्थ आ जाते हैं और जीवाणुओं से बीमारी हो जाती है.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

livestock
पशुपालन

Animal Husbandry: पशुओं के लिए क्यों जानलेवा है ठंड, क्या-क्या होती हैं दिक्कतें, पढ़ें यहां

ये ठंड के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं. इसलिए इनका ख्याल रखना...

livestock animal news
पशुपालन

Fodder Maize: पोल्ट्री और एनिमल फीड की ताकत बनेगी मक्का की ये वैराइटी, पढ़ें इसकी खासियत

अफ्रीकी लंबा मक्का एक हरा चारा फसल है जो अपने उच्च शुष्क...