Home पशुपालन Disease: जानवरों की इस बड़ी बीमारी से इंसानों को भी रहता है खतरा, पढ़ेंं, रोकथाम और उपचार का तरीका
पशुपालन

Disease: जानवरों की इस बड़ी बीमारी से इंसानों को भी रहता है खतरा, पढ़ेंं, रोकथाम और उपचार का तरीका

cow and buffalo farming
प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली. ब्रूसेलोसिस बीमारी पशुओं की एक बेहद ही खतरनाक बीमारी है. एक्सपर्ट का कहना है कि गाय और भैंसों में यह एक महत्वपूर्ण बायोजेनिक बीमारी है. इस बीमारी के होने से पशुओं के दूध उत्पादन को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है. गर्भपात की समस्या आम है. जबकि अगर जन्म हो भी जाए तो भी बीमार या कमजोर बछड़े या ​बछड़ी पैदा होते हैं. संक्रमित पशु के बिना उबले हुए दूध को पीने से या गर्भाशय के डिसचार्ज के संपर्क में आने से इंसान भी इस बीमारी से प्रभावित हो सकता है.

एक्सपर्ट की मानें तो यह बीमारी भारत में पशुओं और इंसानों में बहुत होती है. वहीं गर्भपात की समस्या गर्भ के 5वें माह के बाद होती है. एक संक्रमित पशु में, गर्भपात की संभावना प्रसव की संख्या के साथ कम होती है. ऐसा भी हो सकता है कि चौथे प्रसव के बाद कोई गर्भपात नहीं हो। परंतु गाय व बखड़ी संक्रमित हो सकते हैं. जेर के रुकने से संक्रमण और पशु की मृत्यु भी हो सकती है.

रोकथाम कैसे किया जाए

  • केवल बछड़ी को 4-8 माह की आयु में टीकाकरण कराएं.
  • 5वें माह के बाद होने वाले गर्भपात को ब्रूसेलोसिस की शक की निगाह से देखें.
  • संक्रमित पशु को समूह से हटा दें. यदि ऐसा करना संभव न हो तो उस पशु को अन्य पशुओं से उसके प्रसव/गर्भपात के तुरंत बाद कम से कम 20 दिनों के लिए अलग कर देना चाहिए.
  • गर्भपात हुए बच्चे, जेर, दूषित बिछावन, दाना, चारा इत्यादि को कम से कम 4 फीट गड्‌ढे में चूना डालकर दबा देना चाहिए.
  • इन पदार्थों में बहुत अधिक मात्रा में जीवाणु पाए जाते हैं, जिनका निपटारा यदि सही तौर पर न हो तो ये बीमारी फैलने का कारण बन सकता है.
  • गर्भपात हुए पशु को अलग करने के बाद शेड को संक्रमण मुक्त करना जरूरी होता है.
  • जब पशु अलग हो तो उसके गर्भाशय से निकलने वाला मटमैला साव (लोशिया) जिसमें अधिक मात्रा में जीवाणु होते हैं.
  • 1-2% सोडियम हाइड्रोक्साइड था 5% सोडियम हाइपोक्लोराइट (ब्लीच) से रोज संक्रमण मुक्त करना जब तक लोशिया का बहाव बंद न हो जाए.
  • यह बीमारी जूनोटिक है. इसलिए संक्रमित पदार्थों को खुले हाथ से नहीं पकड़ना या छूना चाहिए.

उपचार क्या है, जानें
एक बार पशु के प्रभावित या संक्रमित हो जाने के बाद इसका कोई प्रभावी इलाज नहीं है. क्योंकि जीवाणु पशु के शरीर में मौजूद रहता है. शंका की स्थिति में पशुचिकित्सक से संपर्क करें. इंसानों में इस बीमारी का उपवार हो सकता है बशर्ते उपचार के लिए सही रास्ते का अनुसरण किया जाए.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

goat farming
पशुपालन

Goat Farming: देश के इस हिस्से में बहुत है बकरे के मीट की डिमांड, जानें क्या है प्लान

100 किसानों ने भाग लिया था. जिसमें किसानों को बकरी से जुड़ी...