नई दिल्ली. नर भेड़ का भार व मांस की मात्रा व गुणवत्ता ही मुख्य आर्थिक घटक हैं. जिनके लिए भेड़ पालक भेड़ पालता है और पैसा कमाता है. हालांकि इन गुणों का अनुवांशिक स्पीड नंबर उच्च से मध्यम स्तर का हैं. तथा नस्ल सुधार नर भेड़ों व भेड़ों की खुद की उत्पादन क्षमता पर किया जा सकता है लेकिन ऐसे ब्रीडर जानवरों के माता पिता या भाई बहन के उत्पादन रिकॉर्ड को भी परखा जा सकता है. जब रेवड़ में कई मेंढे प्रयोग में लाये जा रहे हों तो अभिलेखों का रख रखाव अति आवश्यक है.
वहीं प्रत्येक प्रजनक मौसम के प्रारम्भ से पूर्व अभिलेखों के आधार पर पूर्व में प्रयुक्त मेंढ़ों से जन्में बच्चों का मूल्यांकन कर लेना चाहिए. वहीं प्रोजेनी टेस्ट के आधार पर नर भेड़ों का श्रेणी क्रम तय कर उच्च श्रेणी वाले नर भेड़ों का ही अगले मौसम में प्रजनन हेतु उपयोग करें. वहीं लोवर कैटेगरी वाले नर भेड़ों की छटनी कर उनके स्थान पर हाई कैटेगरी वाले नर से पैदा हुए मेमनों को भविष्य के नर भेड़ों का दर्जा देकर प्रयोग करना चाहिये.
रेवड में नर भेड़ों का प्रजनन काल
प्रत्येक दो वर्ष के बाद नर भेड़ बदल लें ताकि रेवड़ में फाइनली प्रजनन से बचा जा सके. नर भेड़ के करीबी रिश्तेदारों से मिलान का बचाव करना चाहिए. यदि मेंढा रेवड़ में जन्मे मेमनों में से ही एक है तो फिर उसके करीबी रिश्तेदारों जैसे मां, बहन, बेटी व चचेरी बहन, मौसी आदि से मिलान नहीं कराना चाहिऐ. जब तक कि विशुद्ध नस्ल उत्पादन व एक विशिष्ठ रेखित उपनस्ल पैदा करना उद्देश्य न हो.
छह माह की उम्र पर परख
मेमने का जन्म के समय भार तथा छह माह की आयु पर भार के आधार पर ही मेमने का चयन होना चाहिए. उपरोक्त मापदण्डों पर खरे उतरने वाले मेमनों को ही अगली पीढ़ी का जनक बनने का हक है. यदि कई मेमने उपरोक्त मापदण्डों पर खरे उतरतें हों तो उनका श्रेणीकरण कर लेना चाहिए व उच्च श्रेणी वालों का चयन कर उनकी आकर्षकता पर ध्यान देना चाहिए. जिनमें चौड़ा व गहरा वक्ष और पेट, माँसल पुटठें, पीठ व कठि मजबूज टाँगें, मुलायम त्वचा, चमकीली बड़ी आंखें व चौड़े नथुने, थूथन, जबड़ा व कपोल, सुडोल, बदन व लम्बा शरीर होना शामिल है.
उम्र क्या होना चाहिए
नर भेड़ों के प्रजनन अंगों व क्षमता की परख करना भी जरूरी है. सभी गुण होने के बाद भी यदि नर भेड़ों के अण्डकोषों व वीर्य में दोष हो तो मेंढे में कुछ भी नहीं हैं. इसलिए नर भेड़ के वृषणों की जांच अति आवश्यक है. अण्डकोष समानान्तर व विकसित हों, श्रृतुकाल में रतिवाली भेड़ों पर चढ़ने में तीव्रता होती है. मर्दानगी व काबू करने की क्षमता और झटका देकर वीर्य एक्जीक्यूशन क्षमता अच्छी होना चाहिए. ऐसे नर भेडों में गर्भ धारण करने की क्षमता बढ़ती है. प्रजनन के समय नर भेड़ों की उम्र 18 माह से कम नहीं होना चाहिए. इसके अलावा पांच साल से ज्यादा भी नहीं होना चाहिए.
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