Home मछली पालन Fisheries: कार्प मछलियों को अगर हो गईं ये बीमारियां तो ग्रोथ और प्रोडक्शन पर डालती हैं असर, पढ़ें क्या हैं लक्षण
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Fisheries: कार्प मछलियों को अगर हो गईं ये बीमारियां तो ग्रोथ और प्रोडक्शन पर डालती हैं असर, पढ़ें क्या हैं लक्षण

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तालाब में मछली निकालते मछली पालक

नई दिल्ली. कार्प मछलियों में कई तरह की बीमारी होती है. इसमें कुछ बीमारियों को अवसरवादी कहा जाता है. ये रोग कमजोर व कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली मछलियों में ही पाये जाते हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि कार्प मछलियों में ऐरोमोनास संक्रमण सबसे ज्यादा होता है. ये बैक्टीरिया ज्यादातर मछलियों की कमजोर अवस्था में बीमार करते हैं. या परजीवी से ग्रसित मछलियों में सेकेंडरी वायरस का खतरा बढ़ा देते हैं. खराब पानी की गुणवत्ता से जुड़े विशिष्ट तनाव कारकों की अवस्था में ऐरोमोनास संक्रमण ज्यादा होता है. यह बीमारी, जीवाणु ऐरोमोनास हाइड्रोफिला, ए. सोबरिया, ए कैविये तथा कुछ अन्य ऐरोमोनाड के कारण होती है.

एक्सपर्ट कहते हैं कि इस रोग के संकेतिक लक्षण की बात की जाए तो शरीर पर छोटे रक्तस्राव, भाल्क का गिरना, छाले, आंखों का उभार और मटमैले गलफड़ों के साथ पंखों और पूंछ का सड़ना या टूटना शामिल है. प्रभावित मछली आमतौर पर फीड नहीं खाती है और पानी की सतह से अलग-थलग तैरती है.

सभी उम्र की मछलियां होती हैं प्रभावित
एक अन्य जीवाणु एडवर्डसिपेला टार्डों से होने वाला रोग एडवर्डसिलोसिस है, जो कि ज्यादातर कार्प मछलियों को प्रभावित करता है. इस बीमारी से आमतौर सभी आयु वर्ग की मछली बीमार हो जाती हैं. इस रोग के संकेतिक लक्षणों में त्वचा पर फोड़े, उदर का फैलाव, गुदा में सूजन और रक्तस्राव, शरीर पर फीका रंग एवं रक्तस्राव शामिल है. संक्रमित मछलियों में कभी-कभी चक्राकार गतिशीलता (Ringed Dynamics) के लक्षण देखे जा सकते हैं. इसके अलावा, पाली गयी कार्प मछलियों में फ्लेवो बैक्टीरियम कॉलर के कारण कॉलमरिस रोग एक प्रमुख रोग हैं. इसके संकेतिक लक्षण की बात की जाए तो गलफड़ों के किनारों पर पीले सफेद धब्बों दिखाई देते हैं.

परजीवी से होने वाली बीमारी
परजीवी से होने वाली बीमारियां मछलियों में एक प्रमुख समस्या है और ये मछली पालकों आर्थिक नुकसान के लिए अन्य रोगों की तुलना में ज्यादा जिम्मेदार है. आर्गुलस परजीवी मछलियों की जू द्वारा उत्पन्न अर्गुलोसिस रोग, कार्प मछली पालन में एक प्रमुख बड़े परजीवी रोगों में एक है. इस परजीवी के कारण आर्थिक नुकसान होता है. इस परजीवी द्वारा संक्रमण के कारण ग्रोथ नहीं हो पाती है. मछलियां फीड नहीं लेती हैं. मछलियों की मौत होने लगती है. इस बीमारी के लक्षणों की बात की जाए तो त्वचा में खरोंच, भूख में कमी और शरीर के ठोस सतह पर रगड़ना शामिल है. आमतौर पर मछली के शरीर पर लाल धब्बे दिखाई देते हैं.

स्किन पर दिखता है लाल निशान
एक अन्य परजीवी लर्निया (एंकर वर्म) से होने वाला संक्रमण कार्य मछलियों में भी गंभीर समस्या है. इस बीमारी के संकेतिक लक्षणों की बात की जाए तो स्किन पर लालपन, शरीर पर सूजन, सांस संबंधी समस्याएं और सुस्त रहना शामिल है. इन बाहरी कीड़ों को शरीर की स्किन पर खुली आंखों से देखा जा सकता है. ये परजीवी सेकेंडरी संक्रमण का एक प्रमुख कारण हो सकता है और मत्स्य पालकों के पर्याप्त नुकसान पहुंचा सकता है.

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