नई दिल्ली. मुर्गी पालन ऐसा व्यवसाय है जो देश में तेजी के साथ बढ़ रहा है और नाबार्ड व लीड बैंक इस व्यवसाय को लोकप्रिय बनाने के लिए लोन भी मुहैया कराते हैं. बात उत्तर प्रदेश से की जाए तो यहां आवश्यकता के अनुरूप उत्पादन न होने की वजह से आज भी दक्षिण भारत से अंडे और मुर्गी के मांस की आपूर्ति की जाती है. इसलिए प्रदेश मुर्गी पालन काफी फायदे का सौदा बना है, लेकिन मुर्गी पालन करने में कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है. मुर्गियां फ्लू का जल्दी शिकार हो जाती हैं. ऐसे में उनका नुकसान होता है. विशेषज्ञों का कहना है कि मुर्गियों को जुकाम भी होता है. अगर ऐसा होता है तो उसका क्या समाधान है और कैसे इलाज किया जाए आइए जानते हैं.
बीमारी के ये हैं लक्षण
विशेषज्ञ में कहना है कि बारिश में भीगने या खुले में बाहर रहने पर मुर्गियों को खास कर चूजों में ये बीमारी हो जाती है. मुर्गियां का सुस्त रहना, कलगी में नीलापन, दाना पानी कम खाना और चोच से पतला स्राव आना, प्रमुख लक्षण हैं. चूजे एवं मुर्गी के पास-पास जाकर गोलकर बनाकर बैठ जाने से बीमारी और तेजी के साथ फैल जाती है.
इस दवा को पिलाएं
मुर्गियों में इस बीमारी को रोकने के लिए ठंड से बचना चाहिए. आवश्यकता होने पर 60 से 80 वाट का बल्ब मुर्गी घर में जलाना चाहिए. इससे कमरा गर्म रहता है. टेट्रासाइक्लिन दवा का इस बीमारी की रोकथाम या तीव्रता को कम करने में उपयोग किया जाता है. इसलिए शिकार मुर्गियों को तीन माह में एक बार, दो से तीन दिन तक लगातार दवा पिलाना चाहिए. एक्सपर्ट का कहना है कि पाउडर दवा सभी पशु दवा दुकान पर उपलब्ध रहती है.
इस तरह बीमारी की करें रोकथाम
फयूरासोल पाउडर 20 चूजें अथवा पांच बड़ी मुर्गियों के लिए एक कप पानी 50 मिलीलीटर में दो चुटकी 2 ग्राम दवा घोलें और सिरींज द्वारा मुर्गी चीजों को दो बूंद एवं बड़ी मुर्गियों को पांच-पांच बूंद तीन दिनों तक लगातार पिलाने से बीमारी दूर की जा सकती है. पीने वाले पानी में दवा घोलकर पिलाई जा सकती है. वहीं रोकथाम करने के लिए बिछौना, मुर्गी घर एवं उसके आसपास की जगह साफ सुथरी रखना चाहिए. टेट्रासाइक्लिन पाउडर लिक्सेन पाउडरए फयूरासोल पाउडर.ये सभी दावों को आधी मात्रा में पाने वाले पानी में देकर उनकी रोकथाम की जा सकती है.
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