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Fisheries: तालाब में अगर ज्यादा है कार्बन डाईऑक्साइड तो हो जाएं सावधान, क्या करें, जानें यहां

rohu fish
रोहू मछली की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. मछली पालन भले ही एक फायदे का कारोबार है और इसे बढ़ाने को लेकर सरकार भी किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. जबकि किसान भी इससे जुड़कर मुनाफा कमाते हैं. जिस तरह से किसी भी कारोबार को शुरू करने से पहले उसकी तमाम जानकारी होना जरूरी होता है. ठीक उसी तरह से मछली जिस तालाब में पाली जाती है उसमें कई अहम बातों का ध्यान दिया जाता है. जैसा कि हम इस आर्टिकल में आपको तालाब के अंदर कार्बन डाईऑक्साइड के बारे में बताने जा रहे हैं कि इसका तालाब में क्या काम है. इसके होने से मछली को फायदा होता है या फिर नुकसान, आइए यहां जानते हैं.

फिश एक्सपर्ट कहते हैं कि कार्बन डाईऑक्साइड का ज्यादा स्तर नुकसादेह हो सकता है. क्योंकि कार्बन डाईऑक्साइड मछली में खून की ऑक्सीजन ट्रांसपोटेशन को करने की क्षमता को कम कर देता है. वहीं ज्यादा कार्बन डाईऑक्साइड एक असर ये भी होता है कि मछलियां ऑक्सीजन का स्तर अधिक होने पर भी दम तोड़ सकती हैं. इसलिए एक्सपर्ट का कहना है कि कार्बन डाईऑक्साइड के स्तर को हमेशा ही मेंटेन करना चाहिए.

कार्बन डाईआक्साइड
पानी में कार्बन डाईआक्साइड की घुलनशीलता केवल 0.50 मिली ग्राम प्रति लीटर होती है. लेकिन मत्स्य पालन तंत्र में यह 0 से 20 मिलीग्राम प्रति लीटर तक परिवर्तित हो जाती है. तालाब में कार्बन डाईआक्साइड का इस्तेमाल मुख्यतः सूरज की रौशनी के सिं​थेथिस द्वारा होता है और इसकी कम उपलब्धता प्रकाश सिंथेथिस को सीमित कर सकती है. कार्बन डाईआक्साइड तालाब के जल में अस्थाई रूप से बाई कार्बोनेट के रुप में इक्टठा रहती है जो मिट्टी में उपलब्ध कार्बोनेट के साथ अभिक्रिया करने से बनता है.

कर सकते हैं कुछ उपाय
एक्सपर्ट के मुताबिक स्थिर तालाब में सुर्योदय के समय कार्बन डाईआक्साइड की मात्रा सर्वाधिक होती है, लेकिन जब आसामन में बादल होते हैं यानि बारिश के मौसम में मछलियों की मौत के दौरान आसाधरण रुप से कार्बन डाईआक्साइड की गैरजरूरी मात्रा बढ जाती है. जो की अन्य मछलियों के कतई सही नहीं होती है. कार्बन डाईआक्साइड की गैर जरूरी मात्रा को कम करने तथा इस पर नियन्त्रण के लिए कुछ उपाय किए जाने चाहिए.

पुराने पानी को निकाल दें
जल में कुल क्षारकता 20 मि०ग्रा० प्रति लीटर से अधिक रखें. पानी जल को मिश्रित करने के लिए वायु कारकों का प्रयोग करें. तालाब में ताजे पानी को डालकर तथा पुराने पानी को निकाल कर कार्बन डाईआक्साइड की मात्रा को कम करें. तालाब में कैल्शियम होईड्राक्साइड का प्रयोग करें.

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