नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग दो तरह से की जाती है. एक तो फार्म के अंदर मुर्गियों को पाला जाता है. वहीं घर-आंगन यानि बैकयार्ड में मुर्गियों को पालकर कमाई की जा सकती है. पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों को पालने के लिए दाना-पानी दिया जाता है. वहीं बैकयार्ड मेथड से पलने वाली मुर्गियां किचेन से निकले वेस्ट, जमीन पर पड़े वेस्ट अनाज, कीड़े आदि को खाकर भी अपना पेट भर लेती हैं और इसके बाद मीट और अंडों का उत्पादन करती हैं. बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग की ये भी खासियत है कि इसे छोटे पैमाने पर बेहद ही कम लगात के साथ शुरू किया जा सकता है और घर की महिलाएं भी अन्य कामों करने के साथ-साथ इसे कर सकती हैं. वहीं इससे आमदनी का एक और सोर्स डेवलप हो जाता है.
एक्सपर्ट का कहना है कि अगर आपके पास चारागाह है तो बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग को बड़े स्तर पर भी कर सकते हैं और यह सब बहुत आसान भी है. अगर चारागाह का इस्तेमाल किया जाए तो एक एकड़ में लगभग 300 मुर्गियों को पाला जा सकता है और इससे अच्छी खासी इनकम हासिल की जा सकती है.
घर-आंगन पोल्ट्री के लिए नर्सरी ईकाई
घर-आंगन कुक्कुट (मुक्त-क्षेत्र कुक्कुट) पालन के लिए विकसित की गई सभी मुर्गियों किस्मों को निश्चित रूप से परभक्षी, बीमारी और ठंडे मौसम से बचाने के लिए प्रारंभिक 6 सप्ताह की आयु के दौरान उनकी देखभाल की अधिक आवश्यकता होती है. इस मकसद के लिए उन्हें इस ड्यूरेशन के दौरान आवास में आर्टिफिशियल गर्मी दी जाती है. रानीखेत और मुर्गी चेचक रोगों से बचाव के लिए टीकाकरण, स्थानीय फीड संसाधनों से उपलब्ध आवश्यक संतुलित फीड देने की आवश्यकता होती है. लगभग 7 हफ्तों की आयु में विकसित मुर्गियों को घर-आंगन में छोड़ा जा सकता है या मांस वाले कुक्कुट किस्मों को आवश्यक उम्र प्राप्त होने तक नर्सरी में भी रखा जा सकता है.
बहुत कम आती है लागत
किस्मों का चयन मुख्य रूप से स्पेशल क्षेत्र में पालन और उपभोक्ता एक्सपेट करने पर निर्भर करता है. पोल्ट्री अनुसंधान निदेशालय, हैदराबाद द्वारा की मानें तो मुक्त-क्षेत्र स्थितियों के तहत, पक्षियों के पालन पोषण की लागत ज्यादातर प्राकृतिक खाद्य संसाधनों (कीड़े, खेत में गिरने वाले अनाज, रसोई के कचरे, हरी घास आदि) की उपलब्धता पर निर्भर करता है. जो पक्षियों की आवश्यकता की तुलना में शून्य से सपरप्लस तक काफी अलग होती है. घर-आंगन पोल्ट्री किस्मों के पालन के लिए लागत का आंकलन तीन कुक्कुट किस्मों (वनराजा, ग्रामप्रिया और कृष्णा) के लिए अपेक्षित आर्थिक गणना अलग-अलग है.
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