नई दिल्ली. पशुपालन एक बेहद ही कामयाब कारोबार साबित हो रहा है. दुनियाभर में 100 करोड़ लोगों की आजीविका इससे जुड़ी है. पुरुषों के अलावा महिलाओं का भी रोल पशुपालन में बेहद ही अहम है, खास करके भारत जैसे देश में. पशुपालन के जरिए लोग अपनी आजीविका चलाते हैं. ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर पशुपालन किया जा रहा है, लेकिन जितना ज्यादा इस कार्य से फायदा मिलना चाहिए, शायद उतना मिल नहीं पाता है. क्योंकि पशुओं की देखरेख और खानपान में की जाने वाली कमी से प्रति पशु दूध उत्पादन बेहद ही कम होता है.
इसलिए किसी भी पशुपालक के लिए ये जानना बेहद ही जरूरी है कि वो सालभर पशुओं का किस तरह से ख्याल रखे. अगर उसे इस बात की जानकारी नहीं होगी तो पशुपालन ने अपेक्षित लाभ हासिल करने में दिक्कतें आएंगी. अगर आप भी पशुपालन करना चाहतें या फिर पहले से कर रहे हैं तो इन 18 प्वाइंट्स को गौर से पढ़ें ताकि आपको पशुपालन से जुड़ी अहम जानकारी हो सके.
क्या-क्या करना चाहिए जानें यहां
पशुओं को आयु एवं आवश्यकता के अनुसार संतुलित आहार प्रदान करें.
- दुधारू पशुओं का थनैला रोग से बचाव के लिए उचित प्रबन्ध करें.
- आंतरिक एवं बाह्य परजीवियों से बचाव के लिए नियमित अन्तराल पर दवा का प्रयोग करें.
- पशु के गर्मी के लक्षणों पर विशेष ध्यान दें तथा समय पर प्राकृतिक अथवा कृत्रिम गर्भाधान करवायें.
- दूध दोहने के लिए पूर्ण-हस्त विधि का ही प्रयोग करें.
- पशुओं को आहार में खनिज मिश्रण अवश्य दें.
- ब्याने वाले पशुओं का विशेष ध्यान रखें.
- नवजात पशु को जन्म के 1-2 घंटे के भीतर खीस अवश्य पिलायें.
- नवजात बच्चे की नाल को 1.5 से 2.0 इंच की दूरी पर बाँध कर काटना चाहिए तथा उस पर टिंक्चर आयोडिन का प्रयोग करें.
- गाभिन पशुओं का तीन माह बाद पशुचिकित्सक से परीक्षण करवायें.
- तीन बार से ज्यादा गर्मी में आने पर भी गाभिन न होने वाले पशुओं की जाँच पशुचिकित्सक से करवायें.
- पशुशाला में महीने में एक बार कीटनाशक दवाओं से छिड़काव करना चाहिए.
- चरी तथा पानी की टंकी/होद को रोजाना साफ करना चाहिए तथा सप्ताह में एक बार चूना डालना चाहिए.
- बीमारी आने पर प्रभावित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना चाहिए.
- गाभिन पशुओं को उचित व्यायाम करवाना चाहिए.
- शारीरिक भार-वृद्धि की दर ज्ञात करने के लिए कटड़े-कटड़ियाँ/बछड़े-बछड़ियों का वजन मापना आव दूध निकालने से पहले थनों को जीवाणुनाशक दवा जैसे (लाल दवा) से धोकर साफ कपड़े से पोंछना चाहिए.
- भैंसों के खानपान का समय और आहार जब तक आवश्यक न हो परिवर्तित नहीं करना चाहिए और यर्या धीरे-धीरे बदलें.
- किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पशु-चिकित्सक या पशु वैज्ञानिक से संपर्क करें.
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